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केपीएस के नाम पर सरकारी विद्यालय बंद करने के प्रस्ताव का विरोध

गांव के अधिकांश अभिभावक किसान और खेतिहर मजदूर हैं, जो सुबह खेतों पर चले जाते हैं और शाम को लौटते हैं। ऐसे में गांव में ही स्कूल होने से उन्हें बच्चों की चिंता नहीं रहती।

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धारवाड़ तालुक के बेनाकनाकट्टी गांव में सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय को बंद कर उसे देवरा हुब्बल्ली स्थित कर्नाटक पब्लिक स्कूल Karnataka Public School (केपीए) मैग्नेट स्कूल में विलय करने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध शुरू हो गया है।

अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन (एआइडीएसओ) के बैनर तले बड़ी संख्या में छात्रों व अभिभावकों ने गुरुवार को स्कूल परिसर के बाहर प्रदर्शन किया।

एआइडीएसओ की जिला सचिव शशिकला मेति ने कहा कि बेनाकनाकट्टी गांव के निवासियों से स्कूल को स्थानांतरित या विलय करने के लिए कोई सहमति नहीं ली गई है। गांव के अधिकांश अभिभावक किसान और खेतिहर मजदूर हैं, जो सुबह खेतों पर चले जाते हैं और शाम को लौटते हैं। ऐसे में गांव में ही स्कूल होने से उन्हें बच्चों की चिंता नहीं रहती। यदि स्कूल को देवरा हुब्बल्ली के केपीएस स्कूल में मिला दिया गया, तो बच्चों को रोजाना तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। अभिभावकों और छात्रों की मुख्य मांग है कि स्कूल को बंद न किया जाए और मौजूदा परिसर में ही चलने दिया जाए।

मेति ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार केपीएस स्कूलों के नाम पर 40,000 से अधिक सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना बना रही है। उन्होंने सवाल किया, अगर स्कूल बंद नहीं किए जा रहे, तो फिर उनके बंद करने की सूची क्यों तैयार हो रही है और आदेश क्यों जारी हो रहे हैं? यह नीति निजी संस्थानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई गई है।