
'अपने' वैज्ञानिकों ने बना डाला एचआइवी को निष्क्रिय करने वाला एंजाइम
बेंगलूरु. भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के वैज्ञानिकों ने ऐसा कृत्रिम एंजाइम विकसित किया है जो प्रतिरक्षी कोशिकाओं में ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआइवी) के पुन: सक्रिय होने अथवा उसकी नकल को सफलतापूर्वक रोक सकता है।
आइआइएससी ने कहा है कि वैनेडियम पेंटोक्साइड नैनोशीट्स से बने ये 'नैनो एंजाइम' कुदरती एंजाइम ग्लूटाथिओन पेरोक्सीडेज जैसा ही काम करते हैं। वायरस को नियंत्रित रखने के लिए यह एंजाइम आवश्यक होता है।
दरअसल, ये एंजाइम वाहक कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव दबाव का स्तर घटाते हैं जो वायरस की रोकथाम के लिए यह जरूरी है।
आइआइएससी में माइक्रोबॉयोलॉजी एवं सेल बॉयोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर अमित सिंह और अकार्बनिक एवं भौतिक रसायन विभाग में प्रोफेसर गोविंदसामी मुगेश के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने इस एंजाइम को विकसित किया है।
प्रयोगशालाओं में तैयार करना आसान
प्रोफेसर मुगेश ने कहा कि इसका फायदा यह है कि जैविक प्रणाली में नैनोजाइम्स स्थिर रहते हैं और कोशिकाओं के भीतर किसी प्रकार की अवांछित प्रतिक्रिता नहीं करते।
इस एंजाइम को प्रयोगशालाओं में तैयार करना भी आसान है। आइआइएससी ने कहा है कि एचआइवी को पूरी तरह खत्म करने का कोई उपाय नहीं है। केवल एचआइवी रोधी औषधि का इस्तेमाल कर उसका असर कम किया जा सकता है लेकिन, संक्रमित कोशिकाओं में एचआइवी का उन्मूलन नहीं हो पाता।
वायरस कोशकाओं के भीतर सुरक्षित स्थान पर सुसुप्तावस्था में रहते हैं। जैसे ही कोशिका के भीतर हाइड्रोजन पेरॉक्साइड जैसे जहरीले कणों का स्तर बढ़ता है ऑक्सीडेटिव दबाव भी बढ़ जाता है और वायरस फिर से सक्रिय हो जाते हैं।
नहीं होने देता वायरस को सक्रिय
अमित सिंह की टीम ने कुछ साल पहले एचआईवी संक्रमित कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव तनाव का आकलन करने के लिए एक बायोसेंसर तैयार किया था।
उन्होंने कहा कि एचआइवी को फिर से सक्रिय होने के लिए बहुत कम ऑक्सीडेटिव दबाव की जरूरत होती है। इसे रोकने के लिए ऑक्सीडेटिव दबाव का स्तर हमेशा कम रखना जरूरी है।
इससे वायरस विलंबता की स्थायी स्थिति में 'लॉक' हो जाएगा। इस प्रक्रिया के लिए ग्लूटाथिओन पेरोक्सीडेज एंजाइम आवश्यक है। ये जहरीले हाइड्रोजन पेरॉक्साइड को पानी और ऑक्सीजन में रुपांतरित कर देते हैं।
वैज्ञानिकों ने वैनेडियम पेंटोक्साइड से अल्ट्राथीन नैनोशीट्स तैयार किया और उससे एचआइवी संक्रमित कोशिकाओं पर आजमाया। वैज्ञानिकों ने पाया कि यह उसी तरह हाइड्रोजन पेरॉक्साइड के स्तर को कम करने में सक्षम है जैसा कुदरती एंजाइम करता है।
अन्य प्रभावों का हो रहा अध्ययन
हालांकि, प्रयोगशाला परीक्षणों में नैनो एंजाइम को सामान्य कोशिकाओं के लिए हानिरहित पाया गया है लेकिन मुगेश ने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि शरीर के अंदर प्रवेश करने के बाद क्या कोई अन्य प्रभाव हैं।
शरीर के भीतर ये नैनो एंजाइम कहां जाएंगे? वे किन-किन अंगों में प्रवेश करेंगे? वे कब तक शरीर में रहेंगे? इन तमाम पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है और इसके लिए अध्ययन चल रहा है।
Published on:
05 Apr 2021 06:42 pm
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