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मंदिर जाने से बनती है सकारात्मक सोच-आचार्य देवेन्द्रसागर

धर्मसभा

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मंदिर जाने से बनती है सकारात्मक सोच-आचार्य देवेन्द्रसागर

मंदिर जाने से बनती है सकारात्मक सोच-आचार्य देवेन्द्रसागर

बेंगलूरु. राजाजीनगर के सलोत जैन आराधना भवन में शत्रुंजय परिचय सप्ताह के अन्तर्गत आचार्य महासेन सूरी के सान्निध्य में आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने कहा कि सभी प्राचीन मंदिरों का निर्माण वास्तु के अनुसार किया गया है। मंदिरों की बनावट ऐसी होती है, जहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमेशा बना रहता है। मंदिर में आने वाले भक्तों के नकारात्मक विचार नष्ट होते हैं और सोच सकारात्मक बनती है। मंदिरों और तीर्थों को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। इसी वजह से मंदिर या तीर्थ पर जाने से हमारे मन को शांति मिलती है। शांत मन और सकारात्मक सोच के साथ किए गए काम में सफलता मिलती है। आमतौर पर अधिकतर प्राचीन तीर्थ और मंदिर ऐसी जगहों पर बनाए गए हैं, जहां का प्राकृतिक वातावरण हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। किसी भी मंदिर और वहां स्थापित भगवान की मूर्तियां भक्त की आस्था और विश्वास को बढ़ाती हैं। मंदिर देखते ही लोग श्रद्धा के साथ सिर झुकाकर भगवान के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं। आमतौर पर हम मंदिर भगवान के दर्शन और विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति के लिए जाते हैं, लेकिन मंदिर जाने से हमें और भी कई और लाभ भी प्राप्त होते हैं।