
प्रतिक्रमण की साधना निज स्वरूप में लौटने की प्रक्रिया-साध्वी
बेंगलूरु. साध्वी सुधाकंवर ने मंगलवार को हनुमंतनगर स्थित जैन भवन में आयोजित धर्मसभा में कहा कि प्रतिक्रमण की साधना निज स्वरूप में लौटने की प्रक्रिया है। प्रतिक्रमण करने से साधक भावों की शुद्धि होती है। उन्होंने श्रमण संघ के द्वीतिय पट्टचर आचार्य आनंदऋषि के साधना काल से जुड़े प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कैसे आचार्य भगवन्त अन्तर भावों की शुद्धि के लिए प्रतिक्रमण साधना करते समय एक- एक अक्षर पर चिंतन इष्टि के साथ एक एक दोषों क समीक्षा भाव के साथ प्रतिक्रमण में सजग रहते थे। प्रतिक्रमण मिथ्यात्व, अप्रत प्रमाद, कशाय और अशुभ योगों का किया जाता है। साध्वी साधना, साध्वी विजयप्रभा ने भी धर्मसभा को संबोधित किया। साध्वी सुयशा ने कहा कि व्यक्ति संसार में संपत्ति, प्रतिष्ठा, भोगो प्रयोग साधन सामग्री, लक्जरी लाइफ की प्राप्ति के लिए ही दिन-रात भाग दौड़ करता है। सभा में मुंबई से पहुंचे युवा महेन्द्र पगारिया ने भी विचार व्यक्त किए। संघ अध्यक्ष कल्याण सिंह बुरड़ ने अतिथियों का स्वागत किया। सभा में संघ रक्षक नेमीचंद खिंवेसरा, संघ सचिव भंवरलाल गादिया, ऑल इण्डिया युवा परिवार से महेन्द्र पगारिया, प्रकाश बुरड़, किरण गोलेच्छा, दिनेश पोखरणा, सुनिल लोढ़ा, मनोज सोलंकी, महावीर सुराणा, दिनेश पोरवाड़ उपस्थित थे।
Published on:
01 Sept 2021 08:05 am
बड़ी खबरें
View Allबैंगलोर
कर्नाटक
ट्रेंडिंग
