
कांग्रेस प्रदेश में 'वोट चोरी' पार गरमाई सियासत। (फोटो- X/@Congress)
कांग्रेस शासित प्रदेश में भाजपा नेता के खिलाफ 'वोट चोरी' का आरोप तय होते ही सियासी बवाल मच गया है। इस पर पूर्व विधायक की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
दरअसल, कर्नाटक में 'वोट चोरी केस' की जांच कर रही एसआईटी ने बेंगलुरु की एक कोर्ट में इस मामले की चार्जशीट फाइल की है। जिसमें अलंद के पूर्व विधायक और भाजपा नेता सुभाष गुट्टेदार के साथ उनके बेटे को आरोपी बनाया गया है।
सुभाष ने अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा है कि मौजूदा विधायक बीआर पाटिल हर चुनाव से पहले ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाते हैं। ये उनकी पुरानी आदत है। ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
सुभाष ने आगे कहा कि इस बार पाटिल का इरादा 15 दिसंबर को राहुल गांधी की लीडरशिप में नई दिल्ली में होने वाले वोटों में धांधली के खिलाफ कैंपेन की ओर ध्यान खींचना है।
उन्होंने कहा कि पाटिल ने कर्नाटक सरकार में मंत्री पद पाने के लिए ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। वहीं, सुभाष के बेटे और भाजपा नेता हर्षानंद भी इस केस में आरोपी हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस आरोप के बारे में कोई ऑफिशियल जानकारी नहीं मिली है।
बता दें कि एसआईटी ने सुभाष और उनके बेटे को एक नोटिस भी भेजा है। साथ ही, वोट चोरी के केस में उनके बयान लिए हैं। इस पर सफाई देते हुए हर्षानंद ने कहा- हमने साफ-साफ कहा है कि इस केस में हमारा कोई रोल नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उन्हें और उनके पिता को इस केस में फंसाने के लिए अपने अधिकारियों का इस्तेमाल किया। हर्षानंद ने कहा कि यह कांग्रेस की भाजपा के खिलाफ ‘वोट चोरी’ की कहानी गढ़ने की एक पॉलिटिकल चाल है।
उन्होंने आगे कहा कि लोगों ने कांग्रेस को रिजेक्ट कर दिया है। इसीलिए अब वे वोट चोरी के आरोप लगाकर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं।
हर्षानंद ने कहा कि वह और उनके पिता कोर्ट में साबित कर देंगे कि उनके खिलाफ सभी आरोप झूठे और पॉलिटिक्स से मोटिवेटेड थे।
कर्नाटक में 2023 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आलंद विधानसभा क्षेत्र में एक बड़ा चुनावी विवाद हुआ था। आरोप लगाया गया कि चुनाव से पहले वोटर लिस्ट से पांच से अधिक मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश की गई थी।
कांग्रेस विधायक बीआर पाटिल ने यह आरोप लगाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि आलंद में वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए फर्जी आवेदन किए जा रहे हैं।
इसके बाद, चुनाव आयोग ने जांच शुरू की और पाया कि 6,018 आवेदन आए थे, जिनमें से 5,994 फर्जी थे। उधर, एसआईटी जांच में सुभाष और उनके बेटे की भूमिका सामने आई।
Published on:
14 Dec 2025 09:05 am
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