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सरकार चाहती है झील पर्यटन लेकिन मरती झीलों को कौन बचाएगा

68 झीलों के पुनरूत्थान की तैयारी में बीबीएमपी

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बेंगलूरु. झीलों के पुनरुत्थान एवं कायाकल्प की ढुलमुल नीती को लेकर बृहद बेंगलूरु महानगर पालिक (बीबीएमपी) और कर्नाटक टैंक संरक्षण एवं विकास प्राधिकरण (केटीसीडीए) एक बार फिर पर्यावरणविदों और झील संरक्षण कार्यकर्ताओं के निशाने पर है।

केटीसीडीए ने झील कायाकल्प योजना के तहत बीबीएमपी को फिलहाल पहले चरण की झीलों का पुनरुत्थान कार्य शुरू करने की मंजूरी दे दी है। ये सभी झीलें बीबीएमपी के सीमा क्षेत्र में आती हैं। इसके तहत पहले चरण में 19 पैकेजों में बीबीएमपी के लिए 68 झीलों को सूचीबद्ध किया गया है। हालांकि झील विकास की जो रुपरेखा तय की गई है उसमें झीलों को पर्यटन गंतव्यों के रूप में विकसित करने का प्रारूप बनाया गया है।

पर्यावरणविदों का कहना है कि झील पुनरुत्थान में झीलों की नैसर्गिकता को बचाने की योजना नहीं तय की गई है। झीलों की स्वच्छता और हरियाली बनाए रखने पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है। यहां तक झीलों का पानी निर्मल बना रहा इसे लेकर भी कुछ तय नहीं किया गया है।

झील विकास के नाम झील क्षेत्र में सौंदर्यीकरण और पर्यटन विकास पर जोर दिया गया है जिसके तहत घूमने वालों के लिए ट्रैक, बच्चों के मनोरंजन की व्यवस्था और अन्य प्रकार के बुनियादी ढांचागत विकास को तय किया गया है। इसमें झील और हरित संरक्षण का कोई उल्लेख नहीं है। ऐसा लगता है कि सरकार पर्यटन के लिए झीलों को देख रही है न कि पर्यावरणीय आवश्यकता के रूप में झील पुनरुत्थान तय किया गया है।

बीबीएमपी अधिकारियों ने हालांकि स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा जारी झील पुनरूत्थान एवं विकास योजना में झीलों को गाद मुक्त करना, तटबंध मजबूत करना, सुरक्षा दीवार को पुनस्र्थापित और पुनर्निर्मित करना सहित सौंदर्यीकरण कार्य भी शामिल हैं। झील क्षेत्रों में वनीकरण को बढ़ावा देने और पैदल यात्रियों के घूमने के लिए पाथ-वे तथा बाल सुरक्षा तंत्र के निर्माण के लिए, सीएसआर निधियों का उपयोग किया जाएगा और इसमें नागरिकों को भी सीधे तौर पर शामिल किया जाएगा जिससे संरक्षण की दिशा में उनमें स्वामित्व और जिम्मेदारी की भावना आएगी।

317 करोड़ से होगा झील विकास
झील विकास के लिए सात पैकेजों में निविदाएं आमंत्रित की गई हैं जो फिलहाल अनुमोदन के लिए सरकार के समक्ष है। हालांकि केटीसीडीए द्वारा इसे अनुमोदित किया जा चुका है। राज्य सरकार ने तीन साल की अवधि के लिए नगरोत्थान योजना के तहत 317 करोड़ रुपए से झील विकास की योजना बनाई है।