
शरणागत की रक्षा करना बखूबी जानते थे रूपमुुनि
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के तत्वावधान में यहां गोड़वाड़ भवन में उपाध्याय रविंद्र मुनि ने सोमवार को श्रमण संघ के वरिष्ठ प्रवर्तक रूपमुनि की गुणानुवाद सभा में उन्होंने मुनि को भक्तों के भगवान, विशाल दृष्टिकोण रखने वाले, व्यापक चिंतनशील व सटीक वक्तव्य देने वाले महान संत बताते हुए उनके सांसारिक व संयमी जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि वे मारवाड़ी काव्य रचनाओं के अग्रणी लेखक तथा सरल एवं विशिष्ट प्रवचन शैली के धनी थे। सदैव श्रमण संघ को गतिशीलता प्रदान की। अहिंसा के क्षेत्र में अनेक काम प्रेक्टिकल करवाए तथा अहिंसा दिवाकर पद से भी विभूषित हुए। राजनीति, प्रशासन और 36 कौम में उनका गजब का प्रभाव था। राजस्थान की राजनीति में भी खूब हस्तक्षेप रहा। उनकी शरण में जो भी जाता था, शरणागत की रक्षा करना वे बखूबी जानते थे। ऋषिमुनि ने गीतिका सुनाई। इस अवसर पर सलाहकार रमणीक मुनि ने ओंकार का सामूहिक उच्चारण कराया और कहा कि आज रूपमुनि के निष्ठा भरे कार्यों की अनुमोदना का दिन है।
जीवनी पर वीडियो प्रेजेंटेशन
गुणानुवाद धर्म सभा में रूपमुनि की जीवनी से जुड़ा एक वीडियो प्रेजेंटेशन व उन्हीं की मांगलिक प्रस्तुत की गई। संचालन चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने किया। जैन कॉन्फ्रेंस की महिला प्रदेशाध्यक्ष संतोष बोहरा, ज्ञानचंद बाफना, रंजना गुलेच्छा, सुरेंद्र आंचलिया, पिंकी मुथा, कुलदीप नन्दावत आदि वक्ताओं ने विचार रखे। चौमुखी जाप के लाभार्थी अशोक इंद्रा ओस्तवाल का रविंद्रमुनि ने जैन दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया। धारीवाल ने बताया कि धर्म सभा में मुख्य संयोजक रणजीतमल कानूंगा, शांतिलाल सांड सहित विभिन्न उपनगरों तथा पंजाब, दिल्ली, जोधपुर, चेन्नई के श्रद्धालु मौजूद रहे।
संत धरातल के वैभव
केजीएफ. साध्वी जयश्री ने संत रूपमुनि को श्रद्धांजलि देते हुए उनके जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संत धरातल के वैभव होते हैं। वह विकृति से संस्कृति की ओर ले जाने वाले होते हैं। संतों का जीवन समाज और संघ की एकता के लिए समर्पित रहता है। ये सारे गुण रूपमुनि में थे। उन्होंने अपने जीवन में कई साहित्यिक रचनाएं की।
Published on:
21 Aug 2018 05:14 pm
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