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मौत के बाद निर्दोष साबित हुआ

30 साल से मुकदमे की सुनवाई हो रही थी

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high court order for road safety on ROB at hanumangarh junction

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बेंगलूरु. आय से अधिक संपत्ति के आरोप का सामना कर रहे लोक निर्माण विभाग के सेवा निवृत्त अधिकारी की ३० साल तक संघर्ष करने के बाद न्याय मिलने से पहले ही मौत हो गई।

आय से अधिक संपत्ति के आरोप का सामना कर रहे लोक निर्माण विभाग के सेवा निवृत्त अधिकारी की ३० साल तक संघर्ष करने के बाद न्याय मिलने से पहले ही मौत हो गई।
लोनिवि में सहायक कार्यकारी अभियंता नारायण रेड्डी (८१) न्याय के लिए लोकायुक्त न्यायालय के चक्कर लगाते रहे। फैसला होने से पहले ही रविवार को उन्होंने एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया। विडंबना देखिए कि न्यायालय ने सोमवार को नारायण रेड्डी को सभी आरोपों से मुक्त कर निर्दोष घोषित कर दिया। रविवार को नारायण रेड्डी का निधन हुआ। लोकायुक्त न्यायालय में ३० साल से मुकदमे की सुनवाई हो रही थी। न्यायालय ने रेड्डी को न्यायालय आकर अपना बयान देने का आदेश दिया था। रेड्डी तबीयतखराब होने के बावजूद ऐंबुलेंस में गए और व्हील चेयर पर बैठ कर न्यायाधीश के सामने शुक्रवार को पेश हुए थे।
रेड्डी ने दावा किया था कि उनके खिलाफ अवैध संपत्ति रखने का आरोप गलत है। उन्होने कई सबूत और दस्तावेज भी पेश किए। रेड्डी ने न्यायालय को बताया कि वे २६ अक्टूबर १९६५ में जूनियर इंजीनियर पदस्थ हुए थे। उन्हें पदोन्नति देकर सहायक कार्यकारी अभियंता बनाया गया था। उन पर रिश्वत लेकर अवैध संपत्ति जुटाने का आरोप लगाकर लोकायुक्त पुलिस ने ११ दिसंबर १९९१ में प्राथमिकी दर्ज की। १२ दिसंबर को उनके निवास पर छापा मारा गया। फिर पुलिस निरीक्षक लक्ष्मण सिंह ने १९९७ में आरोप पत्र दाखिल कर १४.९२ लाख रुपए की अवैध संपत्ति रखने का आरोप लगाया था। ३१ मई १९९८ को नारायण रेड्डी सेवानिवृत्त हुए थे। न्यायालय ने सभी सबूतों और बयानों के मद्देनजर सोमवार को रेडडी को निर्दोष घोषित करते हुए बरी कर दिया।