25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

तेंदुए को पकडऩे में बारिश बनी बाधा

- Karnataka में 1783 तेंदुए

2 min read
Google source verification
तेंदुए को पकडऩे में बारिश बनी बाधा

तेंदुए को पकडऩे में बारिश बनी बाधा

- चार सप्ताह में दो बार दिखा
- शार्प शूटर की मदद ले सकता है वन विभाग

बेंगलूरु. बेलगावी शहर के जाधव नगर में सबसे पहली बार देखा गया Leopard अभी भी पकड़ में नहीं आया है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बीते चार सप्ताह में तेंदुआ गॉल्फ कोर्स के पास दो बार दिखा। लेकिन, पकड़ से बाहर है। तेंदुए को पकडऩे की अभी तक सारी योजनाएं विफल साबित हुई हैं। अलग-अलग दलों में 300 से ज्यादा वनकर्मी, विशेषज्ञ और पशु चिकित्सक तेंदुए को फंसाने में लगे हैं। टीम के अनुसार भारी बारिश ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दृष्टि बाधित हुई है। वन विभाग पर तेंदुए को पकडऩे का दबाव बढ़ता जा रहा है।

300 एकड़ वन क्षेत्र को दो बार खंगाला
कार्यवाहक उप वन संरक्षक व ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे एंथनी एस. मरिअप्पा बताया कि उन स्थानों पर कुल 20 कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, जहां तेंदुए के आने की संभावना सर्वाधिक है। बेलगावी शहर में एक तेंदुआ पहली बार देखा गया है, जिससे लोग घबरा गए हैं। यह एक बड़ा ऑपरेशन है। तेंदुए को फंसाने के लिए कई पिंजरे लगाए गए हैं। चारे के रूप में कुत्तों और सूअरों को रखा गया है। तेंदुए को आकर्षित करने के लिए मादा तेंदुआ का गोबर और पेशाब पिंजरों पर लगाया गया है। 300 एकड़ वन क्षेत्र को दो बार खंगाला जा चुका है। इस काम में दो हाथी भी मदद कर रहे हैं। ड्रोन कैमरों की भी मदद जी जा रही है। जरूरत पड़ी तो तेंदुए को बेहोश करने के लिए शार्प शूटर की मदद लेने की योजना है। तेंदुए को पकडऩे के बाद उसे जंगल में छोड़ा जा सकता है।

शिकार की कमी नहीं है
उन्होंने बताया कि बारिश के कारण जंगल क्षेत्र में जगह-जगह पानी जमा हो गया है। इस क्षेत्र में तेंदुए के लिए शिकार की कमी नहीं है। शायद इसलिए तेंदुआ चारा में दिलचस्पी नहीं ले रहा है। लोगों को चाहिए कि वे संयम बरतें और वन विभाग को अपना काम करने दें।

शर्मीले होने के बावजूद...
कर्नाटक वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य जोसेफ हूवर ने कहा कि विशाल वन क्षेत्र और कई वन्यजीव अभयारण्य वाले कर्नाटक में 1,783 तेंदुए हैं। कर्नाटक तेंदुए की सबसे ज्यादा आबादी वाला दूसरा राज्य है। तेंदुए शर्मीले प्राणी हैं। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में, उनके आवास सिकुडऩे के साथ ही शिकार की तलाश में इनका गांवों और शहरों में आना आम घटना हो गई है।

पकडऩा समाधान नहीं
तेंदुओं पर लंबे समय से अध्ययन कर रहे वन्यजीव विशेषज्ञ संजय गुब्बी के अनुसार खतरे का अहसास होते ही तेंदुए खुद को संरक्षित करने में माहिर होते हैं। कई बार हमला तक कर देते हैं। हालांकि, केवल एक तेंदुए को पकडऩे से समस्या का समाधान नहीं होगा। लोगों को तेंदुओं और उनके व्यवहार को समझने में मदद करने के लिए हमें और अधिक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है। यह सहिष्णुता और स्वीकृति बनाने में मदद कर सकता है ताकि मनुष्य और तेंदुए साझा स्थानों में सुरक्षित, अधिक शांतिपूर्ण तरीके से सह-अस्तित्व में रह सकें।