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पार्टी में दरार पाटने संघ ने कराई भाजपा नेताओं की बैठक, निशाने पर रहे विजयेंद्र

5 घंटे चली मैराथन बैठक में शामिल हुए तीन दर्जन से अधिक नेता विजयेंद्र के प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने पर भी उठाए गए सवाल

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सत्तारूढ़ कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रही उठापटक के बीच मुख्य विपक्षी दल भाजपा में भी बढ़ती गुटबाजी पर अंकुश लगाने के लिए संघ कार्यालय में मैराथन बैठक हुई। संघ के नेता मुकुंद, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और महासचिव व प्रदेश मामलों के प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में लगभग 35-40 शीर्ष नेता शामिल हुए और अधिकांश के निशाने पर प्रदेश अध्यक्ष बीवाइ विजयेंद्र रहे।

पार्टी में दरार पाटने के उद्देश्य से बुलाई गई इस बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, शोभा करंदलाजे और विधानसभा में विपक्ष के नेता आर.अशोक भी शामिल हुए। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा और विजयेंद्र के मुखर आलोचक विजयपुर के विधायक बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल, पूर्व मंत्री व गोकाक के विधायक रमेश जारकीहोली, पूर्व मंत्री अरविंद लिंबावली, मैसूरु के पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा, पार्टी महासचिव सीटी रवि और विधान परिषद में विपक्ष के नेता सी नारायणस्वामी भी बैठक में मौजूद थे।

अपनी मर्जी से निर्णय लेने का आरोप
बीएल संतोष ने सभी नेताओं को अपनी बात कहने का मौका दिया। इस दौरान कई नेताओं ने विजयेंद्र के नेतृत्व और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए। उनपर कुछ लोगों के बीच घिरे होने और उनके कहने पर निर्णय लेने के आरोप भी लगाए गए। बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया कि, बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल और प्रताप सिम्हा विजयेंद्र के प्रति काफी हमलावर रहे। रमेश जारकीहोली ने बिना विजयेंद्र का नाम लिए इशारों में अप्रत्यक्ष निशाना साधा। यत्नाल और प्रताप सिम्हा ने कई अवसरों पर विजयेंद्र पर सीधे और निजी हमले भी किए। लेकिन, किसी भी वरिष्ठ सांसद या विधायक ने उसपर कोई आपत्ति नहीं जताई। कथित तौर पर प्रताप सिम्हा ने विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के निर्णय पर भी सवाल खड़े किए और यहां तक पूछा कि, बीएस येडियूरप्पा के बेटे होने के अलावा विजयेंद्र की उपलब्धि क्या है? वहीं, यत्नाल ने कहा कि, विजयेंद्र सभी को विश्वास में लिए बिना खुद ही निर्णय कर रहे हैं। वह वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा कर रहे हैं।

10 मिनट में विजयेंद्र ने दी सफाई
सूत्रों का कहना है कि, बैठक में विजयेंद्र समर्थक नेता बमुश्किल आधा दर्जन थे और वे भी चुप रहे। लगभग 5 घंटे चली बैठक के दौरान विजयेंद्र को अपनी सफाई देने के लिए 10 मिनट मिले। उन्होंने यह कहकर अपना बचाव किया कि, जो भी नियुक्तियां हुई हैं वह आलाकमान के अनुमोदन पर हुई हैं। उन्होंने कहा कि, जो भी सुझाव बैठक में आए हैं उसे मानेंगे। अप्रत्याशित निजी हमलों के बावजूद विजयेंद्र पूरी बैठक में शांत बैठे रहे।

पदयात्रा को लेकर गहराए मतभेद!
दरअसल, भाजपा की निगाह कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान पर है। जहां मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या वित्तीय अनियमितताओं को लेकर आरोपों में घिरे हैं वहीं, कांग्रेस के भीतर शीर्ष पद को लेकर गुटबाजी भी बढ़ी है। भाजपा का मानना है कि, इसका फायदा तभी उठाया जा सकता है जब, सभी नेता एकजुट होकर लड़ें। सूत्रों का कहना है कि, विजयेंद्र के नेतृत्व में निकाली गई बेंगलूरु-मैसूरु पदयात्रा के बाद आपसी मतभेद और बढ़े हैं। जहां विजयेंद्र समर्थक पदयात्रा की सफलता से उत्साहित हैं वहीं, विरोधी गुट जवाबी पदयात्रा की तैयारियां कर रहा है। हालांकि, पार्टी हाइकमान ने फिलहाल उसपर रोक लगा रखी है। लेकिन, पार्टी के भीतर बढ़ते अंतर विरोध को लेकर यह बैठक बुलाई गई।

पार्टी बड़ी, नेता नहीं: यत्नाल
बैठक में मौजूद नेताओं ने बताया कि, आपसी मतभेद दूर करने और स्थानीय निकाय चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया। जो भी मुद्दे हैं उन्हें कोर कमिटी या वरिष्ठ नेताओं के जरिए हल करने को कहा गया। यत्नाल को पार्टी के फैसलों पर सार्वजनिक बयानबाजी बंद करने और विजयेंद्र से पार्टी को एकजुट करने की कोशिश करने को कहा गया। बैठक के बाद खुश नजर आ रहे बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल ने कहा कि, व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण पार्टी है। लेकिन, विजयेंद्र समर्थकों का कहना है कि, ऐसा लगता है यह बैठक उन्हें अपमानित करने के लिए बुलाई गई थी।