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दस दिन में आवागमन के लिए खुलेगा शिराडी घाट

तटीय कर्नाटक के मेंगलूरु को बेंगलूरु से जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-75 के शिराडी घाट खंड में चल रहा सडक़ निर्माण कार्य दस दिन में पूरा हो जाएगा।

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दस दिन में आवागमन के लिए खुलेगा शिराडी घाट

दस दिन में आवागमन के लिए खुलेगा शिराडी घाट

बेंगलूरु. तटीय कर्नाटक के मेंगलूरु को बेंगलूरु से जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-75 के शिराडी घाट खंड में चल रहा सडक़ निर्माण कार्य दस दिन में पूरा हो जाएगा। पीडब्लूडी मंत्री एचडी रेवण्णा ने कहा है कि पिछले एक पखवाड़े में घाट क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के कारण निर्माण कार्य बाधित हुआ। हालांकि अगले दस दिन में इसके पूरा होने की उम्मीद है और जुलाई के दूसरे सप्ताह में छोटे वाहनों के लिए इसे खोल दिया जाएगा। भारी वाहनों की आवाजाही महीने अंतिम सप्ताह में हो पाएगी।


रेवण्णा इसी सप्ताह सडक़ निर्माण से संबद्ध इंजीनियरों और ठेकेदारों के साथ बैठक करेंगे और उनसे चर्चा उपरांत शिराडी घाट को आवागमन के लिए खोलने पर अंतिम निर्णय होगा। शिराडी घाट पर २० जनवरी से यातायात बंद कर दिया गया था। शिराडी घाट में केम्पु होले गेस्ट हाउस से अड्डा होले तक १३ किलोमीटर के खंड का उन्नयन कार्य किया जा रहा है। इसके तहत पुरानी तारकोल सडक़ को आधुनिक तकनीक से कंक्रीट सडक़ में बदला जा रहा है।


शिराडी घाट मार्ग बंद होने से मेंगलूरु और बेंगलूरु के बीच सडक़ से सफर की दूरी बढ़ गई है। वाहनों का आवागमन शिराडी घाट के बदले सम्पाजी और चारमाडी घाट के रास्ते हो रहा है जिससे इन मार्गों पर वाहनों का दबाव बढ़ गया है। पिछले दिनों चारमाडी घाट में भूस्खलन होने के बाद स्थिति काफी विकट हो गई थी और करीब चार दिनों तक एनएच-७५ पर परिवहन बंद रहा था। उम्मीद जताई जा रही है कि शिराडी घाट को उन्नयन कार्य के बाद दोबारा खोले जाने से मेंगलूरु और बेंगलूरु के बीच न सिर्फ सफर आना होगा बल्कि वाहनों का दबाव बढऩे पर भी शिराडी घाट में पहले से आसान और सुरक्षित सफर हो सकेगा।

आत्मतत्व को जानने वाला मनुष्य बनें
बेंगलूरु. जयनगर जैन स्थानक में सोमवार को रविन्द्र मुनि ने धर्मसभा में कहा कि शरीर की बात की जाए तो बस ढांचों का ही फर्क है। मनुष्य भी उन्हीं चीजों से बना है जिनसे कोई पशु या पक्षी। शारीरिक फर्क नहीं होने से उठे सवालों पर ज्ञानियों ने अपने अपने मत भी दिए।
मुनि ने कहा कि उन मतों में भगवान महावीर ने भी मनुष्य को पशुता के अंधकूप से बाहर निकल दिव्यता के उजास में आने के उपाय दर्शाए हैं। जहां अनेक मत पंथ, सन्त जीवन को देवताओं के चरणों की धूल बना देने में उसकी सार्थकता देखते हैं वहीं भगवान महावीर ने कहा कि मनुष्य स्वयं ही इतना ऊपर उठ सकता है देवी देवता उसके चरणों की धूल अपने माथे पर लगाने में अपना सौभाग्य समझने लगें।

मनुष्य आत्मतत्व को जानकर स्वयं शुद्ध भगवान बन सकता है यही मार्ग भगवान महावीर ने हमें दिखाया है। दुर्भाग्य से आज स्थिति निराशाजनक है। लोग आप ईक्षुद्रताओं में इतने संतुष्ट हैं कि जीवन की दिव्यता भव्यता में उन्हें कोई रस ही न रहा। जीवन की छुट पुट समस्याओं के निदान पर ही सम्पूर्ण शक्ति व्यय कर रहे हैं। मुनि ने कहा कि जीवन में अगर उन्नति, दिव्यता और मंगल से परिपूर्ण जीवन चाहिए तो धर्म ही एकमात्र उपाय है। जो धर्म के पथ पर चलेंगे वही आखिरकार जीवन में सच्ची सफलता अर्जित करेंगे और जीवन को शांति से भरकर जीवन में आनन्द भोगेंगे।


वद्र्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतम चंद धारीवाल ने बताया कि मंगलवार को प्रात: ६.15 बजे मुनिवृन्द यहां से पद विहार कर वीवीपुरम स्थित सीमंधर स्वामी आराधना भवन में पहुंचेंगे।