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स्वागत के लिए तैयार श्रवणबेलगोला नगरी

विंध्यगिरि पहाड़ी पर अगले माह एकशिला से निर्मित बाहुबली की 57 फीट प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक की तैयारियां अंतिम चरण में हैं

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श्रवणबेलगोला. देश-विदेश से पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए श्रवणबेलगोला नगरी तैयार हो रही है। लोक निर्माण विभाग की ओर से यहां 75 करोड़ रुपए की लागत से सभी बुनियादी सुविधाओं से युक्त अस्थायी 12 उपनगरों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। इन उपनगरों ने 26 हजार श्रद्धालुओं के लिए आवास की व्यवस्था होगी। महोत्सव का आगाज 7 फरवरी से 26 फरवरी तक होगा। उपनगरों का निर्माण कर्नाटक सड़क विकास निगम की ओर से किया गया है।
महोत्सव के विशेष अधिकारी वरप्रसाद रेड्डी के मुताबिक श्रवणबेलगोला मठ प्रबंधन ने इन उपनगरों में 19,500 श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था करने की मांग रखी थी, इससे अधिक 26 हजार श्रध्दालुओं के लिए यहां पर आवास व्यवस्था की गई है। महोत्सव के दौरान सिमित दिनों के लिए श्रद्धालु यहां पर ठहर सकेंगे। साधुसंत, श्रावक, श्राविकाओं के लिए अलग अलग उपनगरों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा महोत्सव के दौरान यहां पर आने वाले विशिष्ठ गणमान्य अतिथि, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, मीडिया कर्मी, स्वयंसेवकों तथा सुरक्षा कर्मियों के लिए यहां अलग-अलग आवास का प्रबंध किया गया है। साधु-संतों के लिए बने त्यागीनगर में 500 साधु संतों के आवास का प्रबंधन किया गया है। यहां पर उनकी आराधना के लिए अस्थायी प्रार्थना मंदिर का भी निर्माण किया गया है। इस उपनगर में 2 हजार लोगों को ठहरने की व्यवस्था की गई है।
कलश नगर उपनगर में महोत्सव में अभिषेक के कलशों का चढ़ावा लेनेवाले परिजनों के लिए आवास की व्यवस्था की गई है। उपनगर में 3 बेडरूम युक्त अस्थायी आवासों का निर्माण किया गया है। श्रवणबेलगोला नगरी के आस-पास गांवों के कृषि भूमि में इन उपनगरों का निर्माण किया गया है। यह उपनगर शीघ्र ही श्रवणबेलगोला मठ के प्रबंधन को हस्तांतरित किए जाएंगे।

ताकि बाहुबली प्रतिमा को आकाशीय बिजली से न हो नुकसान
हासन. श्रवणबेलगोला की विंध्यगिरि पहाड़ी पर स्थापित भगवान बाहुबली की विशाल प्रतिमा को आकाशीय बिजली से सुरक्षित रखने के लिए नया कंडक्टर लगाया गया है। पहले से लगाए गए कंडक्टर की क्षमता के मुकाबले नया कंडक्टर अधिक उन्नत है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग द्वारा नया कंडक्टर फरवरी में होने वाले महामस्तकाभिषेक महोत्सव से पूर्व यह कदम उठाया गया है। इसके लिए केंद्रीय लोग निर्माण विभाग ने एएसआई को सुझाव दिया था। एएसआई बेंगलूरु वृत्त की अधिकारी मूर्तेश्वरी ने कहा कि हम नहीं जानते कि पुराना कंडक्टर कब लगाया गया था और न ही यह जानते कि यह किस समय से बेकार स्थिति में था।