
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा,भाषा गई तो जिंदगी भी चली जाएगी
हुब्बल्ली/बागलकोट. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा है कि भाषा बचेगी तो जीवन भी बचेगा। भाषा चली जाने पर जीवन भी चला जाता है। बागलकोट के कला भवन में आयोजित कन्नड़ भाषा माध्यम पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में सिद्धरामय्या ने कहा कि वे किसी भी भाषा के विरोधी नहीं हैं।
किसी भी भाषा का अनादर नहीं करना चाहिए। कुछ लोगों को माता-पिता कहने पर खुशी नहीं होती लेकिन मम्मी-डैडी कहने पर खुश होते हैं। ऐसा निरक्षर नहीं करते हैं। मैंने अपने बच्चों को माता-पिता कहकर बुलाना सिखाया है। भाषा बचेगी तो जिंदगी बचेगी। भाषा चली गई तो जिंदगी भी चली जाएगी।
बेंगलूरु में 8 0 फीसदी गैर कन्नडिग़ा हैं। राजधानी की हालत ऐसी हो गई है। कन्नड़ मीडियम में पढ़ाई करने पर फिसड्डी होंगे कहना सरासर गलत है। जाने-माने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सीएनआर राव ने कन्नड़ में ही पढ़ाई की है। फिलहाल राज्य में अंग्रेजी स्कूल के लिए खर्च नहीं कर पाने वाले व कन्नड़ के बारे में अभिमान रखने वालों के बच्चे ही कन्नड़ मीडियम में पढ़ रहे हैं। हमारे कन्नड़ को कर्नाटक वालों को ही बचाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा कन्नड़ मीडियम में होनी चाहिए। अंग्रेजी एक भाषा के तौर पर सीखें वरना यह हमारे कर्तव्य में लापरवाही होगी। हालही में केंद्र सरकार भाषा नीति का मसौदा लाने जा रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सही कार्रवाई नहीं कहकर मैंने पहले ही कहा था। इस पर अनेक राज्यों ने केंद्र सरकार की नीति का विरोध किया है।
Published on:
02 Jul 2019 12:07 am
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