सरकार का उद्देश्य है कि युवा पढ़ार्ई के दरमियान ही औद्योगिक मानकों के आधार पर विशेष रूप से प्रशिक्षित हों, ताकि उन्हें रोजगार पाने में आसानी हो। ओरेकल, आईबीएम, टीसीएस तथा एचपी ने सरकार के इन प्रयासों में सहभागिता की इच्छा जाहिर की है। आईटी मंत्री प्रियांंकक खरगे के मुताबिक सरकार की योजना में इस साल 1 लाख 10 हजार विद्यार्थियों को सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, एनिमेशन आदि क्षेत्रों में कुशल बनाना है।
खरगे ने कहा कि डेढ़ से दो माह में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को धरातल पर लाया जा सकता है। हम विद्यार्थियों के सीखने की समयावधि को कम करेंगे, इससे प्रौद्योगिकी कंपनियों को के धन और समय में भी बचत होगी।
आईटी व बीटी विभाग के प्रधान सचिव गौरव गुप्ता ने बताया कि हम विज्ञान और संबंधित विषयों पर डिग्री कोर्स करवाने वाले अभियांत्रिकी तथा अन्य कालेजों के संपर्क में हैैं। उच्च शिक्षा विभाग के साथ भी काम किया जा रहा है ताकि ऐसे शिक्षण संस्थानों को जोड़ा जा सके।प्रशिक्षण पाने वाले विद्यार्थियों को बकायदा प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे, जिसे लेकर वे उच्च स्तरीय विशेषज्ञता भी हासिल कर सकेंगे।
उच्च शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी, औद्योगिक ऑटोमेशन, रोबोटिक्स तथा आर्टिफिशियल बुद्धिमता की मांग उद्योग क्षेत्र में तेजी से बढ़ी है, ऐसे में उन्हें ऐसे अभ्यर्थियों की आवश्यकता होती है जो कौशल के लिहाज से प्रशिक्षित हों।ऐसी स्थिति में सरकार उद्यमियों के साथ मिलकर कौशलपूर्ण वातावरण निर्मित कर रही है।द्वितीय श्रेणी के शहरों के विद्यार्थियों की पहुंच उद्योगों तक नहीं होती, ऐसे में यह कार्यक्रम उनकी मदद करेगा।
पहले चरण में 50 कालेज होंंगे शामिल : गौरव गुप्ता ने बताया कि शुरुआती चरण में 10 कंपनियों के साथ 50 कालेजों को जोड़कर कार्यक्रम का आरंभ होगा।फिलहाल कुछेक अभियांत्रिकी कालेज ही हैं, जो विद्यार्थियों को उद्योगों के साथ सामंजस्य बिठाने के कार्यक्रम चलाते हैं। सरकार की इस योजना के तहत अन्य कालेज के विद्यार्थियों को भी मंच उपलब्ध करवाया जाएगा।युवाओं को कंपनियों की कार्यप्रणाली के तहत प्रशिक्षण में 3 सें 6 माह लग जाते हैं और पूरी तरह से कार्यविधि में ढलने एक साल तक वक्त लगता है।यह स्थिति बदल जाएगी।