
इल्तिजा मुफ्ती (फोटो-IANS)
जम्मू-कश्मीर में नेताओं को नजरबंद किया गया है। पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद को नजरबंद किया गया है। इससे कश्मीर घाटी का सियासी माहौल चिल्लई कलां में भी गरमा गया है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने दावा किया है कि उन्हें श्रीनगर में उनके आवास पर नजरबंद कर दिया गया है। इस कदम के लिए उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
इल्तिजा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "अन्य कई लोगों की तरह मुझे भी आज श्रीनगर में घर में नजरबंद कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियों की असुरक्षा और पैरानॉयया की कोई सीमा नहीं है। यही 'नए कश्मीर' की तथाकथित सामान्य स्थिति है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके घर के गेट पर महिला पुलिस कर्मियों की पूरी टुकड़ी तैनात की गई है, जिसका उद्देश्य उन्हें बाहर निकलने से रोकना है। इल्तिजा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से सवाल करते हुए पूछा कि उन्हें किस आधार और किस कानून के तहत नजरबंद किया गया है।
सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी के कार्यालय ने भी एक्स पोस्ट के जरिए पुलिस कार्रवाई को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। कार्यालय की ओर से कहा गया है कि पुलिस ने आधिकारिक रूप से सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी को सूचित किया है कि उन्हें घर में नजरबंद किया गया है और बाहर निकलने से रोक दिया गया है। उनके कार्यालय ने यह भी दावा किया कि देर रात से छात्रों की गिरफ्तारी की खबरें मिल रही हैं और उनके परिवारों को पुलिस द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है।
सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी के कार्यालय ने एक्स पोस्ट में लिखा, "सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी को आधिकारिक तौर पर बताया है कि उन्हें हाउस अरेस्ट में रखा गया है और उन्हें घर से बाहर निकलने से मना किया गया है। हमें शनिवार देर रात यह भी खबर मिली है कि छात्रों को गिरफ्तार किया गया है और उनके परिवारों को पुलिस ने डराया-धमकाया है। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि छात्र नौकरियों और शिक्षा में रिजर्वेशन पॉलिसी को तर्कसंगत बनाने की मांग कर रहे हैं।"
जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर ओपन मेरिट (सामान्य वर्ग) के छात्रों और बेरोजगार युवाओं का विरोध प्रदर्शन जारी है। वर्तमान आरक्षण नीति में कुल आरक्षण 60% से ज्यादा हो गया है, जिससे ओपन मेरिट कैटेगरी की सीटें घटकर केवल 30-40% रह गई हैं। आलोचकों का कहना है कि आबादी का 70% हिस्सा सामान्य वर्ग का है, लेकिन अवसर बहुत कम मिल रहे हैं।
Published on:
28 Dec 2025 01:51 pm
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