तपस्या कर्म निर्जरा का साधन-साध्वी प्रमिला कुमारी
तपस्या कर्म निर्जरा का साधन-साध्वी प्रमिला कुमारी
बेंगलूरु. जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा भवन विजयनगर में विराजित साध्वी प्रमिला कुमारी ने आदि अनादिकाल एवं ज्ञान दर्शन चारित्र पर उद्बोधन में कहा जैसे जैन के घर में बालक जन्म लेता है। लेकिन वह श्रावक नहीं बनता, श्रावक तभी बन सकता है। जब वह ज्ञान दर्शन और चारित्र को अपने जीवन मे उपयोग करता है। उसके पास सम्यकता होती है, वही सच्चा साधक है। लौकिक दृष्टि से तीन रत्न होते हैं अन्न, पानी और वचन और लोकोत्तर की दृष्टि से देखा जाए तो तीन रत्न हैं ज्ञान दर्शन चारित्र। आचार्य भिक्षु का उदाहरण देते हुए साध्वी ने कहा जिस तरह चार चीजों के बिना हलवा नहीं बन सकता, उसी तरह ज्ञान दर्शन और चरित्र तप के बिना जीवन का उद्धार नहीं हो सकता। साध्वी आस्थाश्री के संसार पक्षीय भाभी प्रभा डोसी के आज 9 की तपस्या का प्रत्याख्यान साध्वी द्वारा कराया गया। तेरापंथ सभा,महिला मंडल, युवक परिषद ने तप की अनुमोदना करते हुए अभिनंदन पत्र एवं जेन पट्ट द्वारा तपस्वी बहन का सम्मान किया गया। प्रेम चावत ने भी अनुमोदना की। इस अवसर पर सभा अध्यक्ष राजेश चावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश दूधोडिय़ा, महेंद्र टेबा, सह मंत्री प्रकाश गांधी, महिला मंडल अध्यक्ष प्रेम भंसाली, मंत्री सुमित्रा बरडिय़ा, तेयुप मंत्री विकास बांठिया उपस्थित थे।
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