26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मां का कोई एक दिन नहीं होता है-साध्वी भव्यगुणाश्री

धर्मसभा का आयोजन

2 min read
Google source verification
मां का कोई एक दिन नहीं होता है-साध्वी भव्यगुणाश्री

मां का कोई एक दिन नहीं होता है-साध्वी भव्यगुणाश्री

बेंगलूरु. संभवनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ वीवी पुरम में साध्वी भव्यगुणाश्री ने मातृ दिवस पर कहा कि भारतीय संस्कृति में जननी एवं जन्मभूमि दोनों को ही मां का स्थान दिया गया है। मां, महात्मा और परमात्मा, जीवन में महत्वपूर्ण हैं। दुनिया भर के तमाम देशों में आज मदर्स डे मनाया जा रहा है लेकिन मां का कोई एक दिन नहीं होता है। मां का उपकार मां की सेवा हर रोज करना चाहिए। परमात्मा महावीर ने मां बाप जब तक जीवित रहे संयम धारण नहीं किया। क्योंकि मां को तकलीफ नहीं होना चाहिए। मां वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही बच्चों का लालन- पालन भी करती है। मां के इस रिश्ते को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। यही कारण है प्रायः संसार में ज्यादेतर जीवनदायनी और सम्माननीय चीजों को मां कि संज्ञा दी गई है जैसे कि भारत मां, धरती मां, पृथ्वी मां, प्रकृति मां, गां मां आदि।

साध्वी शीतल गुणाश्री ने कहा कि जब बच्चा बोलना सीखता है उसके मुंह से सबसे पहले एक ही शब्द निकलता है ।मां मां एक ऐसा शब्द है जिसे चाहे तकलीफ में हो या खुशी में, चाहे हमें चोट लगे या भूख लगी हो हमारे मुंह से हर समय हर पल एक ही शब्द निकलता है वह है मां। मां देवी का रूप है जो निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों और परिवार के लिए डटकर खड़ी रहती है। मां एक सुखद अनुभूति है। वह एक शीतल आवरण है जो हमारे दुःख, तकलीफ की तपिश को ढंक देती है। उसका होना, हमें जीवन की हर लड़ाई को लड़ने की शक्ति देता रहता है। सच में, शब्दों से परे है माँ की परिभाषा । नेमीचंद वेदमूथा ने बताया कि साध्वी मंगलवार सुबह विहार करके माधवनगर पहुंचेंगी। 17 मई को अशोक भंडारी के यहां शांतिनाथ राजेन्द्र सूरी गृह मंदिर में चल प्रतिष्ठा का आयोजन होगा।