
बेंगलूरु. भगवान के जीवन की हर एक क्रिया, हर प्रसंग जगत के जीवों को शांति प्रदान करने वाला ही होता है। परमात्मा का जीव जब भगवान नहीं बना था तब से ही दूसरे जीवों की चिंता करते हैं। यही उत्तम मनोभावना प्रभु की होती है। प्रभु के जीवन का एक- एक प्रसंग व्यक्तियों को सुख प्रदान करता है।यह बात आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने होसकोटे हाईवे मार्ग पर स्थित नवनिर्मित जय जीरावला तीर्थ के अंजनश्लाका प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को प्रभु पार्श्व का जन्म कल्याणक उत्सव पर कही। आचार्य ने कहा कि हमारे जीवन में स्वार्थ इतना बढ़ गया है कि हम सब जगह अपने काम को महत्व देते हैं। जब तक काम है, तब तक लोग एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। काम नहीं हो तो दूरी बना लेते हैं। यह हमारी मनोवृत्ति ही हमें दुखी कर रही है और हमारा भव भ्रमण बढ़ा रही है। सभी को अपने अंदर के इंसान को पहचानने और इंसानियत को सदैव जीवंत रखने का प्रयास करना चाहिए। सभी जीवों के प्रति परोपकार की भावना रखने वाले मानव का ही जीवन कल्याणमय होता है। आचार्य ने कहा कि मात्र प्रभु को सिर्फ मंदिर में नहीं, अपने मन मंदिर में प्रतिष्ठित करना होगा। जीवों के पुण्य कार्य करने से प्रभु का दर्शन होता है।श्रद्धालुओं ने प्रभु के जन्म की खुशियों को एक दूसरे के साथ हर्षोल्लास के साथ साझा करते हुए जयकारे लगाए। आज आनंद भयो, उमंग भयो, पार्श्व प्रभु नो जन्म थयो आदि भक्ति पदों से प्रभु का गुणगान किया गया। संघवी वसंतीबाई भूरमल तुलेच्छा वोरा रिलिजियस एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से नवनिर्मित तीर्थ के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने प्रभु पार्श्व की जन्मकल्याणक का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। दोपहर में 18 अभिषेक किया गया।
Published on:
18 Jan 2025 05:59 pm
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