22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यह जीवन सही तो अगला भी होगा सफल : श्रुतमुनि

श्रद्घा के से समावेश मिलेगी सफलता

2 min read
Google source verification
This life will be right next to succeed: Shutmuni

This life will be right next to succeed: Shutmuni

मैसूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिद्धार्थनगर में विराजित श्रुतमुनि ने कहा कि यदि ज्ञान एवं श्रद्धा का हमारे जीवन में समावेश है तो यह जीवन सफल होगा ही एवं अगला जन्म भी सफल हो सकता है। मुनि ने मद रहित ज्ञान का वर्णन करते हुए कहा कि जहां पर ज्ञान है वहां मान नहीं होना चाहिए एवं जहां मद, अहंकार का प्रवेश होता है उसका जीवन अंधकारमय हो जाता है। उन्होंने कहा कि आगम में आठ प्रकार के मद बताए गए हैं। ज्ञान, रूप, धन सम्पति, ऐश्वर्य, कुल, तप, शक्तिबल परमात्मा कहते हैं। इन आठ मदों का त्याग करना जीवन एवं आत्मा के लिए श्रेष्ठ है। मद रहित ज्ञान प्राप्त करने के लिए, विनम्रता, श्रद्धा, सरलता, आदरभाव एवं मृदुभाषी होना आवश्यक है। मानव को आध्यात्मिक ज्ञान एवं व्यावहारिक ज्ञान का वरण करना चाहिए। इस अवसर पर बेंगलूरु के राजाजीनगर से युवा संघ ने मुनि के दर्शन किए।

किस्मत वाला करता है तपस्या

मैसूरु. गुंडलपेट स्थानक में साध्वी साक्षी ज्योति ने कहा कि तप करने से काया में निखार आता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह सोना तपकर कुंदन बन जाता है ठीक उसी प्रकार तपस्या में तपकर काया में निखार आ जाता है। साध्वी ने कहा कि तप वही इन्सान कर सकता है जिसके साथ पुण्य का खजाना है। मंगलवार को गणपत गन्ना की पत्नी ज्योति के ३१ उपवास का प्रत्याख्यान लिया। संचालन आनन्द गन्ना ने किया।

'मां-बाप को धोखा देने वाला सुखी नहीं रह सकताÓ

मैसूरु. स्थानकवासी जैन संघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन में डॉ.समकित मुनि ने मंगलवार को महासती चेलना प्रसंग पर कहा कि चेलना व्यसनी पति पाकर रो रही थी। तभी अचानक उसका प्रियतम पति राजा श्रेणिक वहां पहुंच गया। उसने चेलना से रोने का कारण पूछा। चेलना ने राजा श्रेणिक को अपने त्याग एवं संकल्पों की जानकारी दी और उसके व्यसनों की बुराइयां करने लगी। तभी राजा श्रेणिक कुपित होकर वहां से निकल गया। मुनि ने कहा कि आंसू वहां बहाने चाहिए, जहां उन आंसुओं को कोई पोंछने वाला हो, वरन आंसुओं की धाराएं कितनी भी बहा दें, कोई फर्क नहीं पड़ता है। शिकायत भी करनी हो तो उनसे करो, जहां समाधान मिल सकता हो। उन्होंने कहा कि शारीरिक स्वच्छता से व्यक्ति कभी मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता है। व्यक्ति को अपने शरीर और बाह्य रूप से स्वच्छ होने की अपेक्षा अपनी आत्मा और भीतर से स्वच्छ, सुन्दर और निर्मल होने की आवश्यकता है।