बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए स्वयं अनुशासित हों
हासन. तेरापंथ युवक परिषद की ओर से आराधना भवन में आयोजित कम, कनेक्ट एंड करेक्ट कार्यक्रम में साध्वी उदितयशा ने कहा कि जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व होता है। अपने बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए स्वयं अनुशासित होना होगा। तभी बच्चे अनुशासित और संस्कारित होंगे।साध्वी ने कहा कि धर्म को जानने के लिए […]
हासन. तेरापंथ युवक परिषद की ओर से आराधना भवन में आयोजित कम, कनेक्ट एंड करेक्ट कार्यक्रम में साध्वी उदितयशा ने कहा कि जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व होता है। अपने बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए स्वयं अनुशासित होना होगा। तभी बच्चे अनुशासित और संस्कारित होंगे।साध्वी ने कहा कि धर्म को जानने के लिए युवा पीढ़ी आचार्य भिक्षु की जीवनी को पढ़े और जाने कि किस तरह उन्होंने हर संकट में मर्यादा में रहते हुए धर्म को जीया था। साध्वी ने कहा कि धर्म संघ से जुड़ना ही काफी नहीं ,धर्म से भी जुड़ना चाहिए। जब साधु-साध्वी विराजते हैं तो हमें उनका दर्शन करना चाहिए। जिस दिन सेवा का महत्व समझ आएगा उस दिन ज्ञान चक्षु खुल जाएगा। सेवा की कोई सीमा नहीं होती है । भक्ति में भी संस्कार होना चाहिए। साध्वी ने कहा कि जैन धर्म में भगवान महावीर ने श्रावक-श्राविकाओं को माता-पिता की उपमा दी है। चरित्र आत्माओं की सेवा आसान नहीं होती, लेकिन जो करता है उसके कई बंधन खुल जाते हैं।
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