
आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों से अंकित हो गया-साध्वी लावण्यश्री
बेंगलूरु. साध्वी लावण्यश्री के सान्निध्य में जिनशासन के 23वें जिनेश्वर प्रभु पाश्र्वनाथ का जन्म कल्याणक मनाया गया। साध्वी ने कहा आज का दिन जैन धर्म के स्वर्णिम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित हो गया। भगवान पाश्र्व का स्मरण, स्तुति और अनुष्ठान विघ्न निवारक शांति प्रदायक, सिद्धि दायक, सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाला है। प्रभु के अधिष्ठायक धरणेन्द्र पद्मावती देवी और देव के रूप में आज भी अनेक अनेक भक्तों की मनोकामना और समस्या को समाहित करते हैं। उवसग्गहर स्रोत, कल्याण मंदिर स्रोत, अनेक जप से जुड़े मंत्र आज के दिन त्याग तपस्या करके साधक सिद्ध करते हैं। साध्वी ने आज के दिन के उपलक्ष में ‘ह्रीं श्री’ अर्हम पाश्र्वनाथाय नम: का जप अनुष्ठान संपूर्ण श्रावक समाज को करवाया। साध्वी दर्शितप्रभा ने भगवान पाश्र्व से जुड़ी ग्रहस्थ जीवन की घटना का उल्लेख किया। नाग नागिन जो लक्कड़ में जल रहे थे उन्हें नमस्कार महामंत्र का जाप का श्रवण करवाकर उच्च आयुष्य का बंधन कराया। साध्वी धैर्यप्रभा ने प्रभु पाश्र्व गीत का संगान किया। दिव्या सेठिया ने साध्वी का स्वागत किया। एचबीएसटी तेयुप, वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक डालमचंद सेठिया, चेतना सेठिया, प्रिया सेठिया, इंदिरादेवी सेठिया, जैनम सेठिया ने अहोभाव से साध्वी का स्वागत किया। साध्वी लावण्यश्री के सान्निध्य में आज से 27 दिन तक उवसग्गहर स्रोत का अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। साध्वी सिद्धांतश्री, धैर्यप्रभा, साध्वी दर्शितप्रभा ने पाश्र्व स्तुति का संगान कर प्रभु की अर्चना की। प्रेक्षासाधक संजय मंडोत ने गीत की प्रस्तुति दी। आईआरएस मुकेश गादिया, संघ संवाद से जितेंद्र घोषल, जेटीन से कमलेश झाबक, महिला मंडल मंत्री मोनिका गादिया आदि श्रावक-श्राविका समाज की उपस्थिति में लगभग 60 मिनट तक अनुष्ठान चला।
Published on:
31 Dec 2021 07:08 am
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