scriptमहासागर में समाया रेकॉर्ड 104 उपग्रह लांच करने वाले पीएसएलवी सी-37 का ऊपरी चरण | Upper stage of PSLV C-37, which launched record 104 satellites, sinks in ocean | Patrika News
बैंगलोर

महासागर में समाया रेकॉर्ड 104 उपग्रह लांच करने वाले पीएसएलवी सी-37 का ऊपरी चरण

पृथ्वी के वायुमंडल में 8 साल के अंदर किया प्रवेश
निकट अंतरिक्ष को कचरा मुक्त करने में इसरो का एक और सफल प्रयास

बैंगलोरOct 09, 2024 / 05:25 pm

Rajeev Mishra

निकट अंतरिक्ष को स्वच्छ रखने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपना एक और अंतरिक्ष मलबा पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कराकर नष्ट कर दिया है।

इसरो ने कहा है कि, एक ही मिशन में 104 उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर विश्व कीर्तिमान बनाने वाले प्रक्षेपणयान पीएसएलवी सी-37 के ऊपरी हिस्से (पीएस-4) को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कराकर नष्ट कर दिया गया है। वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उसका अधिकांश हिस्सा घर्षण के कारण भस्म हो गया जबकि, कुछ बाकी हिस्से उत्तरी अटलांटिक महासागर में समा गए। पीएसएलवी सी-37 का प्रक्षेपण 15 फरवरी 2017 को किया गया था। इस रॉकेट से भारतीय उपग्रह कार्टोसैट-2 डी और 96 अमरीकी उपग्रहों समेत कुल 104 उपग्रहों तो धरती की 506 किमी वाली निकट कक्षा में स्थापित किया गया था। उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के बाद रॉकेट के ऊपरी हिस्से पृथ्वी की कक्षा में ही रह जाते हैं और एक अंतरिक्षीय मलबा बनकर वर्षों तक चक्कर काटते रहते हैं। पीएसएलवी सी-37 का ऊपरी हिस्सा यानी पीएस-4 पृथ्वी की 470 किमी गुणा 494 किमी वाली कक्षा में रह गया था।
वर्तमान और भविष्य के मिशनों के लिए बनते हैं चुनौती
निकट अंतरिक्ष में ऐसे लगभग 30 हजार अंतरिक्षीय मलबे हैं जो ऑपरेशनल उपग्रहों के साथ-साथ भविष्य के मिशन के लिए चुनौती बनते हैं। इन कचरों पर इसरो की नव गठित इकाई आईएस4ओएम (सुरक्षित और संधारणीय अंतरिक्ष संचालन प्रबंधन के लिए इसरो प्रणाली) और अमरीका स्पेस कमांड नजर रखते हैं। पीएसएलवी सी-37 के ऊपरी हिस्से की भी नियमित रूप से निगरानी की गई और इसकी कक्षीय ऊंचाई को धीरे-धीरे कम किया गया। अक्टूबर के पहले सप्ताह में इस मलबे की कक्षीय ऊंचाई गिरकर 134 किमी गुणा 148 किमी हो गई। इसके बाद यह 6 अक्टूबर को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया।
2030 तक मलबा मुक्त मिशन लांच करने की योजना
इसरो ने कहा है कि, 8 साल के भीतर इस मलबे का निपटान कर दिया गया। अमूमन ऐसे मलबे वर्षों तक अंतरिक्ष में चक्कर काटते रहते हैं। लेकिन, इसरो ने अंतरराष्ट्रीय मलबा शमन दिशा-निर्देशों खासकर, अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (आइएडीसी) के दिशा-निर्देशों के मुताबिक समय से पहले ऐसे मलबों का निपटान कर देता है। अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के मुताबिक ऐसे निष्क्रिय मलबों का जीवनकाल 25 साल से अधिक नहीं होना चाहिए। इसरो ने कहा है कि, पीएसएलवी सी-38, पीएसएलवी सी-40, पीएसएलवी सी-43, पीएसएलवी सी-56 और पीएसएलवी सी-58 के आर्बिट को भी घटाया गया है। इनके ऊपरी हिस्से भी तय समय सीमा से काफी पहले निकट अंतरिक्ष से हटा दिए जाएंगे। इसरो ने बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता को बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए वर्ष 2030 तक मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन लांच करने की योजना बनाई है।

Hindi News / Bangalore / महासागर में समाया रेकॉर्ड 104 उपग्रह लांच करने वाले पीएसएलवी सी-37 का ऊपरी चरण

ट्रेंडिंग वीडियो