
pm atal bihari vajpayee
बेंगलूरु.1975 में आपातकाल की घोषणा के एक दिन बाद 26 जून को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बेंगलूरु में गिरफ्तार किया गया था। लालकृष्ण आडवाणी को 25-26 जून की दरम्यानी रात ही गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि वाजपेयी और दूसरे समाजवादी नेता- मधु दंडवते और श्यामानंद मिश्रा को 26 जून को जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करते समय गिरफ्तार किया गया था।
उस वक्त वाजपेयी सहित बाकी नेता बेंगलूरु में दल-बदल विरोधी कानून पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में भाग लेने आए हुए थे। वाजपेयी को करीब एक महीने बाद बेंगलूरु केंद्रीय जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल भेज दिया गया जबकि आडवाणी सहित बाकी नेता १९ महीने तक बेंगलूरु जेल में रहे। बेंगलूरु आए अटल को जानकारी मिल चुकी थी कि सरकार आपातकाल की घोषणा करने वाली है और उसके तुरंत बाद जयप्रकाश नारायण को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। साथ ही उनलोगों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। अटल ने इस बात की जानकारी मिलने के बाद आडवाणी से चर्चा की और यह तय हुआ कि वे लोग गिरफ्तारी के डर से छिपेंगे नहीं। पुलिस आए और उन्हें गिरफ्तार कर ले।
बेंगलूरु जेल में ही आपातकाल का विरोध करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े, जे. एच. पटेल, पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा, समाजवादी नेता एम. चंद्रशेखर, एस. वेंकटराम, बी. रमेश, माइकल फर्नाण्डीज, लॉरेंस फर्नाण्डीज को 'मीसा एक्टÓ (आंतरिक सुरक्षा काननू) के तहत गिरफ्तार कर बेंगलूरु जेल में रखा गया था। उस समय वाजपेयी के साथ जेल में रहे जद-एस के वरिष्ठ नेता पीजीआर सिंधिया ने उस दौर को याद करते हुए कहा कि इतने सारे नेताओं के एक ही जेल में बंद होने के कारण बेंगलूरु इंदिरा गांधी के खिलाफ चलने वाले आंदोलन का एक बड़ा केंद्र बन गया था। सिंधिया ने कहा कि जेल में बंद इंदिरा विरोधी नेताओं के बीच विचारात्मक मतभेद के बावजूद इंदिरा के खिलाफ एकजुटता बढ़ी और जनता आंदोलन की शुरुआत हुई थी। उस वक्त शहर का पुराना केंद्रीय जेल गांधीनगर था, जो अब फ्रीडम पार्क बन चुका है।
Updated on:
16 Aug 2018 07:23 pm
Published on:
16 Aug 2018 07:21 pm
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