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कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद भी हड्डियों को निशाना बना रहा वायरस

- स्टेरॉयड और विटामिन-डी (steroid and Vitamin D) की कमी बड़ा कारण

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हड्डियों को कमजोर बनाती हैं आपकी ये 5 बुरी आदतें और बढ़ा सकती हैं फ्रैक्चर के खतरे को

bone health

- निखिल कुमार

आम धारणा रही है कि कोरोना वायरस का असर Intestine, kidney, lung, brain and heart पर पड़ता है। लेकिन, वायरस का असर हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों (bones, joints and muscles) पर भी हो रहा है। Corona Virus से उबरने के बाद कई मरीजों में हड्डी की परेशानी देखी गई है। चिकित्सकों का कहना है कि उपचार के दौरान steroid के उपयोग से हड्डियां भंगुर हो सकती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ सकता है। कोविड से उबरने के बाद हड्डियों की परेशानी हो तो अस्थि खनिज घनत्व (बीएमडी) की जांच होनी चाहिए।

बीएमडी में 25 प्रतिशत तक कमी
स्पेशिलिस्ट अस्पताल में हड्डी रोग विभाग के प्रमुख डॉ. आर. प्रशांत ने बताया कि संक्रमण के शुरुआती लक्षणों में मांसपेशियों में दर्द भी शामिल है। मरीज को बुखार के साथ मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रही है। गंभीर संक्रमण के मामलों में ऐसा ज्यादा होता है। कोविड के बाद हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। अध्ययनों से पता चला है कि संक्रमण के पहले दो हफ्तों में ही Bone Mineral Density में 25 प्रतिशत तक कमी आती है। यह काफी हद तक स्टेरॉयड के उपयोग के कारण हो सकता है। हड्डियों में रक्त प्रवाह घटने के कारण भी जोड़ों की समस्या बढ़ी है। कुछ मरीजों में गठिया के मामले भी सामने आए हैं।

चिपक जाते हैं रक्त के कण
एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी Bone Death के मामले भी देखने को मिले हैं। संक्रमण के कारण रक्त में हाईपरकाग्यूलेशन हो जाता है। इसमें खून के कण आपस में चिपक जाते हैं। इससे खून में थक्का जम जाता है। थक्के जब कूल्हे और घुटनों के जोड़ के पास पहुंचते हैं तो वहां की हड्डियों और धमनियों से चिपक जाते हैं। यह इसके कारण कूल्हे और घुटने के मूवमेंट में मरीज को परेशानी होती है। धमनियां प्रभावित होती है।

40 फीसदी लोगों में दिखी परेशानी
कई मरीजों में संक्रमण से उबरने के छह से आठ माह बाद हड्डियों में विभिन्न समस्याएं देखी गई हैं। वर्क फ्रॉम होम के कारण युवा वर्ग में हड्डियों की परेशानी बढ़ी है। विशेषकर विटामिन-डी की कमी के कारण। ऐसे कई मरीज भी हैं जो स्वस्थ होने के बाद घरों में कैद हो गए। चलना-फिरना कम होने से जोड़ों की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह बाधित हुआ। धूप से मिलने वाले विटामिन-डी की भी कमी हो गई। एक हजार मरीजों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार करीब 40 फीसदी लोगों में हड्डियों के गलने, थकान, जोड़ों में दर्द, शारीरिक दर्द की शिकायत सामने आई। इनमें से कई को उपचार के दौरान स्टेरॉयड दी गई थी।

इन्हें सवाधान रहने की जरूरत
डॉ. प्रशांत ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने के बाद भी कई सप्ताह तक कमजोरी का सामना करने वालों, कोविड के कारण आइसीयू में भर्ती होने वालों और उपचार के दौरान स्टेरॉयड लेने वालों को विशेष रूप से चाहिए कि वे बीएमडी की जांच कराएं। चिकित्सकों को भी इसे लेकर सजग रहने की जरूरत है। कोविड से उबरे लोगों को चाहिए कि मांसपेशियों, कमर, घुटनों को दर्द को हल्के में नहीं लें।