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कौन-कौन जाएगा गगनयान मिशन के साथ अंतरिक्ष की सैर पर

आइएएम के अधिकारियों के मुताबिक मिशन के लिए...

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कौन-कौन जाएगा गगनयान मिशन के साथ अंतरिक्ष की सैर पर

बेंगलूरु. देश के महत्वाकांक्षी मानव मिशन 'गगनयानÓ के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एवं भारतीय वायुसेना ने एक करार किया है।

इस करार के तहत वायुसेना गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन करेगी और उन्हें प्रशिक्षण भी देगी।

वायुसेना के उप प्रमुख एयर वाइस मार्शल आरजीके कपूर ने बुधवार को बताया कि 'वायुसेना ने अंतरिक्ष यात्रियों के चयन एवं प्रशिक्षण के लिए इसरो के साथ करार किया है।' इस करार पर गगनयान मिशन के परियोजना निदेशक आर. हट्टन और एयर वाइस मार्शल आरजीके कपूर ने हस्ताक्षर किए और समझौता पत्र एक-दूसरे को हस्तांतरित किया।

इसरो अध्यक्ष के. शिवन ने कहा कि अब उम्मीद है कि अंतरिक्ष यात्रियों की चयन प्रक्रिया अगले 12-14 महीने में शुरू हो जाएगी।

अंतरिक्ष यात्रियों का अधिकांश बेसिक प्रशिक्षण भारत में ही होगा जबकि एडवांस प्रशिक्षण के लिए उन्हें विदेश भेजा जा सकता है।

वायुसेना की ओर से इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आइएएम) अंतरिक्ष यात्रियों के चयन और प्रशिक्षण में अग्रणी भूमिका निभाएगा। आइएएम के अधिकारियों के मुताबिक मिशन के लिए शुरू में 30 अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा।

इनमें से 15 का चुनाव बेसिक ट्रेनिंग के लिए होगा। अगर तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना होगी तो अंतरिक्ष यात्रियों के तीन सेट यानी कुल 9 अंतरिक्ष यात्री चुने जाएंगे।

इनमें से अंतरिक्ष यात्रियों का एक सेट मिशन के लांच होने से तीन महीने पहले भेज दिया जाएगा। शेषदो सेट मिशन की लांच तिथि तक तैयार रहेंगे। पहले सेट के मूल्यांकन में तीन महीने का समय लग सकता है, क्योंकि ऐसे अंतरिक्ष यात्रियों का चयन करना है जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से देश में सर्वश्रेष्ठ हों।
गौरतलब है कि गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले से की थी। इसके लिए केंद्र सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है।

इसरो ने परियोजना को आगे बढ़ाते हुए इसी साल 30 जनवरी को बेंगलूरु में ही समानव अंतरिक्ष केंद्र (एचएससी) की स्थापना की। परियोजना प्रगति पर है और कई तकनीकों का विकास हो चुका है।

मानव मिशन जटिल और चुनौतीपूर्ण : कस्तूरीरंगन
बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष व शीर्ष वैज्ञानिक के.कस्तूरीरंगन ने मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' को असाधारण चुनौती बताया है।

उन्होंने विज्ञान-प्रौद्योगिकी, लाइफ साइंसेज, अंतरिक्ष में दीर्घावधि तक रहने के दृष्टिकोण से इस मिशन को बेहद जटिल बताया।

रानी चेन्नम्मा विश्वविद्यालय (आरसीयू) में एक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन भेजने के निर्णय में सरकार का आत्मविश्वास झलकता है।

सरकार ने इस चुनौतीपूर्ण एवं महात्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा कर इसरो पर भरोसा जताया है। यह निर्णय देश की अर्थव्यवस्था के विकास और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में नई ऊंचाई छूने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि भारत बेहद जटिल और उन्नत अंतरिक्ष तकनीक विकसित करने में कामयाब हुआ है। अब उसके सामने मानव मिशन की चुनौती है जो अंतरिक्ष कार्यक्रमों को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

उन्होंने कहा कि रानी चेन्नम्मा विश्वविद्यालय वर्तमान ही नहीं भविष्य के समाज निर्माण में अहम भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि नींव यहीं बनती है और उस पर राष्ट्र निर्माण होता है।