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कुचिपुड़ी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति

जयनगर में पांचवे ब्लॉक स्थित नंजनगुड श्री राघवेंद्र स्वामी मठ में सुबेंद्र स्वामी तीर्थ के मार्गदर्शन में आयोजित नृत्य कार्यक्रम में नृत्य कलाकारों ने कुचिपुड़ी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।

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कुचिपुड़ी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति

कुचिपुड़ी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति

बेंगलूरु. जयनगर में पांचवे ब्लॉक स्थित नंजनगुड श्री राघवेंद्र स्वामी मठ में सुबेंद्र स्वामी तीर्थ के मार्गदर्शन में आयोजित नृत्य कार्यक्रम में नृत्य कलाकारों ने कुचिपुड़ी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। स्वामी मठ के सूयामिंद्रा आचार्य ने बताया कि कार्यक्रम में नृत्य कलाकार अखिला दीपक एवं साथियों ने कुचिपुड़ी नृत्य के भिन्न भिन्न प्रसंगों पर शानदान प्रस्तुति दे दर्शकों से तालियां बटोरी।

तनाव से मुक्ति को ध्यान आवश्यक: प्रवीण ऋषि
बेंगलूरु. स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, जिगनी में युवाओं को सम्बोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि योग आज नहीं, बल्कि युगों से चला आ रहा है। यह हमारी संस्कृति की देन है। योग एक प्रकार की संजीवनी है। जैन परंपरा के प्रथम तीर्थंकर ऋ षभदेव प्रथम योगी के रूप में सामने आते हैं। पुराणों में ऋषभदेव का भी उल्लेख होता है।


तीर्थंकर ऋषभदेव ने ध्यान.योग की ऐसी कला सिखाई कि चौबीसवें तीर्थंकर प्रभु महावीर तक सभी ने उन्हीं आसनों और ध्यान-मुद्राओं का पालन किया। आज व्यक्ति का तनाव मुक्त रहना सबसे आवश्यक है और उसमें सबसे बड़ी भूमिका ध्यान की है। ध्यान का अभ्यास करने से हम सबसे पहले अपने मन को नियंत्रित करते हैं। जिसके बाद तनाव की स्थिति पर काबू पा सकते हैं।


इसके पूर्व प्रात: बन्नेरघट्टा से मुनि ने जिगनी की ओर विहार किया। विहार सेवा में गुरु आनंद चातुर्मास समिति व गुरु शिव महेंद्र सौभाग्य के सदस्यों ने लाभ लिया। गुरुदेव २५ मई तक यही विराजेंगे।

आचार्य मुक्ति सागर का भव्य प्रवेश
मैसूरु. शहर में शुक्रवार को आचार्य मुक्ति सागर सूरि आदि ठाणा चार का भव्य प्रवेश हुआ। सुमति नाथ महिला मंडल की अध्यक्ष करुणा बेन के नेतृत्व में महिलाओं ने सिर पर कलश धर कर मंगल गीत गाते हुए आचार्य वृन्द की परिक्रमा लगाई गई। भगवान महावीर के गगनभेदी जयकारे लगाते हुए आचार्य वृन्द भक्तों के साथ सुमति नाथ जिनालय में दर्शन-वंदन करने पहुंचे। सकल संघ सहित आचार्य वृन्द महावीर भवन परिसर पहुंचे। आचार्य ने प्रवचन में कहा कि वैभव विलासिता शाश्वत नहीं है और मौत सुनिश्चित है, इसलिए अधिक से अधिक धर्म करना चाहिए। आचार्य ने कहा शरीर को सजाने में हम ज्यादा से ज्यादा समय बर्बाद करते हैं।