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या​हू, गूगल, फेसबुक, ट्विटर को इसलिए झुकना पड़ा हिंदी के सामने

हिंदी दिवस विशेष : भाषा का चमत्कार

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या​हू, गूगल, फेसबुक, ट्विटर को इसलिए झुकना पड़ा हिंदी के सामने

या​हू, गूगल, फेसबुक, ट्विटर को इसलिए झुकना पड़ा हिंदी के सामने

Uploaded By : Ram Naresh Gautam

राम नरेश गौतम
जयपुर. ऑनलाइन की दुनिया में हिंदी और हिंदीजन आत्मनिर्भरता की ओर सरपट दौड़ रहे हैं। इक्कीसवीं सदी के शुरुआत में इंटरनेट पर इक्का-दुक्का सेवाएं हिंदी में थीं। करोड़ों हिंदीभाषियों तक पहुंच बढ़ाने की मजबूरी ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हिंदी की ओर झुकने पर विवश कर दिया है।

अब हिंदीभाषी इंटरनेट पर आसानी से हिंदी में कंटेंट पढ़, लिख और सुन सकते हैं। 22 जुलाई 2014 में तो गूगल मैप ने हिंदी वर्जन भी लॉन्च कर दिया। 2011 से अमरीकी दूतावास ने ट्विटर और फेसबुक पर हिंदी में अलग से अकाउंट खोल रखा है। वहीं याहू ने 2006 से हिंदी में सेवाएं शुरू की।

2007 से गूगल सर्च हिंदी में सुविधाएं दे रहा है। याहू, गूूगल से होते हुए फेसबुक, मैसेंजर, वॉट्सएप, ट्विटर, कू, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन तक हिंदी का जलवा है।

यूनिकोड में हिंदी स्क्रिप्ट टाइपिंग की सुविधा और हिंदी में इंटरफेेस ने हिंदीजनों की राह आसान की है। हालांकि करीब 2 अरब से ज्यादा वेबसाइट्स में हिंदी कंटेंट आनुपातिक तौर पर कम है।


सोशल मीडिया और सर्च इंजन

ई-कॉमर्स कंपनियां

सूचना क्रांति ने बढ़ाए हिंदी के अवसर
ग्रामोदय विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कुसुम कुमारी कहती हैं कि सूचना क्रांति के साथ हिंदी ने कदमताल मिलाया है। इससे इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग बढ़ा है। वहीं हिंदी की प्रोफेसर डॉ. ममता का कहना है कि हिंदी धीरे-धीरे बाजार और रोजगार की भाषा बन रही है। यह भाषा के उज्जवल भविष्य का संकेत है।