
यशवंतपुर: नवनियुक्त पदाधिकारियों ने ली शपथ
बेंगलूरु. कर्नाटक के जैन श्वेताम्बर तेरापंथ संघ (सभा) यशवंतपुर के वर्ष 2018-20 के लिए नवनियुक्त अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण समारोह शनिवार को तेरापंथ सभा भवन गांधीनगर में साध्वी कंचनप्रभा आदि ठाणा 5 के सान्निध्य में हुआ।
साध्वीवृंद के मंगलाचरण से शुरू हुए कार्यक्रम में पूर्व उपाध्यक्ष मदनलाल बरडिय़ा ने नवनियुक्त अध्यक्ष प्रकाशचंद बाबेल को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके बाद बाबेल ने साध्वीवृंद से आशीर्वाद लिया।
अध्यक्ष बाबेल ने कार्यकारिणी की घोषणा करते हुए उपाध्यक्ष मदनलाल बरडिय़ा, विमल किशोर पितलिया, ताराचंद गन्ना, मंत्री गौतमचंद मुथा, सहमंत्री सुरेंद्र कुमार सेठिया, बाबूलाल मांडोत, कोषाध्यक्ष सम्पतराज डूंगरवाल, संगठन मंत्री महावीरचंद ओस्तवाल, परामर्शक कन्हैयालाल गन्ना, अर्जुनलाल पितलिया, माणकचंद बरडिय़ा, मोहनलाल दक व आयोजन प्रभारी दिनेश कुमार गन्ना को शपथ दिलाई।
बाबेल ने सभी के सहयोग की कामना की। गौतम मुथा ने साध्वी कंचनप्रभा के यशवंतपुर में सफल चातुर्मास की उपलब्धियां बताईं।
मुख्य अतिथि आचार्य महाश्रमण चातुर्मास 2019 व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मूलचंद नाहर थे। तेरापंथ ट्रस्ट अध्यक्ष बहादुर सेठिया, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष रामलाल गन्ना, मंत्री हरकचंद ओस्तवाल, टी दासरहल्ली सभा के मंत्री नवरतनमल गांधी, ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष ललित माण्डोत, दीपचंद नाहर, भूपेंद्र मुथा, कन्हैयालाल चिप्पड़, प्रकाश लोढ़ा सहित अन्य गणमान्यजन व समाजबंधु मौजूद रहे। संचालन मदनलाल बरडिय़ा ने किया। सुरेश सेठिया ने आभार ज्ञापित किया।
साध्वी ने कहा कि भगवान महावीर की वाणी में ज्ञान का सार है। श्रावक हमेशा प्रशस्त जीवन शैली के साथ धर्म शासन के लिए समर्पित रहते हैं। यशवंतपुर कार्यकर्ताओं की खान है। साध्वी मंजूरेखा ने कहा कि संस्कार जीवन की उपलब्धि है। निरंतर गतिशील रहते हुए अध्यात्म जगत में आनंद लेते रहें।
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जिससे समता भाव की वृद्धि हो वही सामायिक
मंड्या. सुमतिनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में आराधना भवन में आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने सामायिक के महत्व पर कहा कि जिस प्रक्रिया में समता भाव की अभिवृद्धि होती है उसे सामायिक कहते हैं।
उन्होंने कहा कि तराजू के बीच लगी सुई हमें कम व ज्यादा का संकेत देती है, इसी तरह सें हम किसी के प्रति राग, द्वेष, घृणा, भेदभाव की भावना रखते हैं तो आत्मा इसका अनुभव करवाती है। जिस तरह तालाब के स्थिर पानी में हमारा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है, लेकिन उसी पानी में पत्थर फेंकने पर हमारा प्रतिबिम्ब दिखाई नहीं पड़ता है।
इसी तरह हमारी आत्मा में बसे परमात्मा के दर्शन करने के लिए मन को स्थिर रखकर शांति के साथ प्रभु भक्ति का मोह में लगना चाहिए। सभा में अम्बालाल जैन, भंवरलाल जैन, फुटरमल जैन, अरविंद जैन, मांगीलाल जैन सहित कई लोग मौजूद रहे।
Published on:
10 Jun 2018 08:30 pm
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