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ये देखो सिस्टम की लापरवाही: प्रसूता को जिला अस्पताल में नहीं मिली मदद, रैन बसेरे में हो गया प्रसव

locationबांसवाड़ाPublished: Apr 22, 2021 06:56:39 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

बांसवाड़ा. शहर में कुछ माह से भटकते हुए जहां-तहां जीवन बसर कर रही एक महिला के प्रसव पीड़ा को सरकारी सिस्टम ने गुरुवार को बढ़ा दिया। यहां एमजी अस्पताल के एमसीएच विंग तक पहुंचने के बाद भी उपचार नहीं मिलने से महिला चीखती-चिल्लाती रही। आखिर में बैरंग लौटने पर रैन बसेरे के स्टॉफ की मदद से उसका प्रसव हुआ।

ये देखो सिस्टम की लापरवाही: प्रसूता को जिला अस्पताल में नहीं मिली मदद, रैन बसेरे में हो गया प्रसव

ये देखो सिस्टम की लापरवाही: प्रसूता को जिला अस्पताल में नहीं मिली मदद, रैन बसेरे में हो गया प्रसव

जानकारी के अनुसार स्वयं को नापला निवासी इंदिरा बताने वाली 35 वर्षीया महिला कुछ महीनों से शहर में ही भटक रही थी। इंदिरा को गुरुवार दोपहर में प्रसव पीड़ा बढ़ी, तो वह रैन बसेरे लौटी। यहां इंदिरा रसोई के प्रबंधन से जुड़े वेलनेस फाउंडेशन ट्रस्ट के कविंद्र जोशी और मुकेश प्रसाद ने उसकी हालत खराब देखी तो टैम्पो से एमजी अस्पताल भेजा। अस्पताल में उसे एकबारगी बैड पर लिटाया गया, फिर किसी स्टाफ सदस्य ने आधार कार्ड नहीं होना बताकर वापस लौटा दिया। इस पर महिला उसी ऑटो चालक के साथ वापस रैन बसेरा लौटी। कुछ देर पीड़ा सहती रही महिला के बारे में बाद में जानकारी ट्रस्ट सचिव विनोदकुमार यादव को दी गई तो वे खुद मेल नर्स होने से प्रसव कराने में जुटे। यहां ट्रस्ट अध्यक्ष गोविंदकुमार यादव व अन्य सहयोगियों की मदद से महिला का प्रसव करवाया गया।
बेटा हुआ, परिजनों से खुद बेखबर
रैन बसेराप्रभारी कुशाग्र भट्ट के अनुसार महिला आठ दिन से नियमित भोजन के लिए इंदिरा रसोई जाती थी और नया बस स्टैंड, लड्ढा हॉस्पीटल और आसपास के इलाके में दिनभर इधर-उधर डोलने के बाद शाम को सोने के लिए रैन बसेरे पहुंचती रही। बातचीत में महिला अपना और गांव का नाम ही बता पाई। इसके अलावा पति-रिश्तेदारों के बारे में कुछ पूछने पर वह निरुत्तर रही। उसे अस्पताल ले जाने पहुंचाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिली। एंबुलेंस तलवाड़ा गई होना बताया गया, तो टैम्पो से भेजना पड़ा। फिर वहां से बैरंग लौटी, तो यहां ट्रस्ट सचिव सुंदनी निवासी विनोद यादव को ही डिलेवरी करवानी पड़ी। उसे उसे बेटा हुआ, जो पूरी तरह स्वस्थ है। बाद में फिर प्रयास करने पर एंबुलेंस से मदद मिली तो करीब डेढ़ बजे उसे एमजी अस्पताल भेजा गया। अस्पताल में ट्रस्ट की ओर से जिम्मेदारी लेने पर उसे भर्ती किया गया।
इनका कहना है…
गुरुवार को सुबह 11 से 1 बजे तक साथी डॉक्टर्स के साथ खुद ओपीडी में ही था। यहां ऐसी कोई महिला नहीं आई। प्रसूता लाई गई, तो कहां सुलाया और लौटाया गया, जानकारी नहीं है।
डॉ. ओपी उपाध्याय, प्रभारी एमसीएच विंग
एमजी अस्पताल बांसवाड़ा

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