
राजस्थान में गुरु गोलवलकर योजना अब महात्मा गांधी के नाम पर, दस साल में तीसरी बार बदला नाम
बांसवाड़ा. प्रदेश में राज्य सरकारों की ओर से लागू की जाने वाली योजनाओं के नाम बदलने को लेकर राजनीति के आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते रहे हैं। सत्ता परिवर्तन होते ही योजनाओं के नाम बदलने की सूची में नया नाम गुरु गोलवलकर योजना का है, जिसे अब महात्मा गांधी के नाम पर किया गया है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास व रोजगार सृजन, सामुदायिक संपत्तियों के निर्माण व रखरखाव में स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2010-11 में ग्रामीण जनभागीदारी विकास योजना लागू की गई थी। तब प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही कांग्रेस की सरकार थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सरकार बदली तो तत्कालीन राज्य की भाजपा सरकार ने 2014-15 में इस योजना का नाम बदलकर गुरु गोलवलकर जनभागीदारी योजना कर दिया गया।
फिर बदला नाम : - अब एक बार फिर गुरु गोलवलकर जनभागीदारी योजना का नाम बदल दिया है। ग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग के परियोजना निदेशक छगन बेनीवाल की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। आदेश को सक्षम स्तर पर अनुमोदित होने का उल्लेख करते हुए कहा है कि वर्तमान वर्ष को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। ग्राम स्वराज की अवधारणा गांधी चिंतन के बुनियादी सूत्रों में से एक है और यह पूर्ण रूप से जन सहभागिता पर ही निर्भर है। ऐसे में गुरु गोलवलकर जनभागीदारी योजना का नाम महात्मा गांधी जनभागीदारी योजना किया जाता है। हालांकि योजना में बजट और पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
यों होता है वित्त पोषण : - प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लागू यह राज्य वित्त पोषण योजना है। इसमें सामुदायिक परिसंपत्तियों के सृजन के लिए जन सहयोग 30 प्रतिशत, सृजित परिसंपत्ति पर दानदाता का नाम अंकित करने की स्थिति में 51 प्रतिशत, श्मसान/कब्रिस्तान की चारदीवारी, चबूतरा, टीनशेड आदि पर 10 प्रतिशत तथा अजाजजा बहुल क्षेत्र में जनसहयोग 20 प्रतिशत है। शेष राशि राज्य मद से उपलब्ध कराई जाती है।
जब योजना वही है, उसमें होने वाले कार्य भी वही हैं, तो नाम बदलने की आवश्यकता नहीं थी। महात्मा गांधी के नाम से नया नामकरण करने से आपत्ति नहीं है। सरकार चाहे तो राष्ट्रपिता के नाम पर नई योजना लागू करने की बजट में घोषणा करे, जिसका समाज के सभी तबकों को लाभ मिले। - भवानी जोशी, पूर्व चिकित्सा राज्यमंत्री।
योजनाओं का नाम बदलने की मानसिकता छोटी है। यह कांगे्रस सरकार का स्वभाव रहा है। पहले भी अटल सेवा केंद्र का नाम बदला गया। नाम बदलना महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं है। यह जनता को भ्रमित करने का प्रयास है। - ओम पालीवाल, सदस्य, भाजपा राष्ट्रीय परिषद।
Published on:
12 Feb 2020 06:37 pm
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