पुलिस के अनुसार इस संबंध में पीडि़ता ने लिखित रिपोर्ट में बताया कि उसके पति ने 27 जून,2006 को उससे निकाह किया। इससे उसके दो बच्चे हैं। आरोपी बीते चार महीने से घर में झगड़ा फसाद कर अन्य जगह रहने लगा। महीनेभर पहले उसे आखिरी तलाक लिखा पत्र आया, तो देखकर अवाक रह गई। कारण कि इससे पहले न तो कोई तलाकनामा सामने आया, न ही इसकी कोई जानकारी थी। पीडि़ता का आरोप है कि पति ने यूनानी और देसी जड़ी-बूंटियों से नुस्खे बनाकर इस्तेमाल करता रहा और मारपीट कर गर्भवती होने पर नौ बार गर्भ गिराए।
नहीं हुई सुनवाई
पीडि़ता का आरोप है कि गर्भनिरोधक सामग्री इस्तेमाल करने को लेकर आरोपी दबाव बनाता रहा और अप्राकृतिक यौन शोषण करता रहा है। उसे एक कमरे में कैद रखकर अत्याचार करने से खुदकुशी की नौबत आई, तो इसे लेकर बांसवाड़ा के महिला थाने और एसपी कार्यालय में शिकायत की, लेकिन प्रभाव के चलते सुनवाई नहीं हुई। इसके चलते संभाग की सबसे बड़ी महिला अधिकारी होने से उसे उदयपुर में गुहार लगानी पड़ी।
मामला दर्ज, जांच शुरू पीडि़ता ने उसे दिए तलाकनामे पर बतौर गवाह दस्तखत करने वाले व्यक्ति को भी मौलाना ही बताया और उसके खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की। प्रकरण में थाना अधिकारी नानालाल सालवी ने बताया कि पीडि़ता की रिपोर्ट पर भादसं की धारा 498-ए, 377 और 3/4 मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत केस दर्ज किया गया। पीडि़ता का मेडिकल मुआयना करवाया है। वे खुद मामले की जांच कर रहे हैं।