
ICU ward spent ten months in Rinoveshn
बेहद नाजूक स्थिति में आने वाले दिल के रोगियों का दर्द निर्माण विभाग की लेट-लतीफी से बढ़ता जा रहा है। बढ़ रहा है। यहां जिक्र महात्मा गांधी चिकित्सालय के आईसीयू वार्ड का है। करीब आठ माह पहले नवीनीकरण के नाम पर आईसीयू के ताले लगाकर कॉटेज वार्ड में मरीजों को दाखिल करना शुरू कर दिया। यह काम तीन माह में हो जाना था, पर, आठ माह बीत जाने के बाद भी निर्माण विभाग ने कार्य पूरा कर चिकित्सालय को भवन नहीं सौंपा है।
रिनोवेशन कार्य की स्वीकृति के बाद करीब चार माह तक सार्वजनिक निर्माण विभाग चिकित्सालय प्रशासन की ओर से भवन खाली नहीं करने की बात कहते हुए भवन में देरी की बात कह रहा था। अब भवन खाली हुए पांच बीत गए, पर निर्माण विभाग इस अति संवेदनशील कार्य के प्रति असंवेदनशील हो गया है।
यूं चल रही आईसीयू में सर्जरी
वर्ष 2008 से पहले आईसीयू वार्ड में पांच बेड थे। इसके बाद वर्ष 08 इसी की बगल में 30 लाख की लागत से नया भवन बना और दस बेड की और क्षमता बढ़ी। खास यह कि तात्कालिन चिकित्सा राज्यमंत्री ने इसका उदघाटन किया और उदघाटन के बाद ही इस भवन में अन्य सामग्री नहीं होने पर ताला लगा दिया। तब से यह भवन ताले में कैद जर्जर हो रहा था। वर्ष 2015 में टीएडी मद से आईसीयू नवीनीकरण के लिए 50 लाख स्वीकृत हुए। कार्यकारी एजेन्सी सार्वजनिक निर्माण विभाग को बनाया गया।
विभाग ने नवीनीकरण के लिए वर्तमान में चल रहे भवन को खाली करने की जरूरत बताई। इस कार्य में छह माह और बीत गए मई 2016 में इसे खाली कर कॉटेज वार्ड में शिफ्ट किया। अब कार्य तीन माह में कर लेना था, पर अभी तक यह पूरा नहीं हो पाया है। नवम्बर में निर्माण विभाग के अधिकारियों ने दावा किया था कि इस कार्य को हर हाल में 31 दिसम्बर से पूर्व पूरा कर चिकित्सालय को सौंप दिया जाएगा। इस बात को भी एक माह गुजर गया है।
कुछ बताने को तैयार नहीं
हमको खाली करने को बोला, हमने खाली कर दिया। यह 50 लाख में क्या नवीनीकरण करेंगे। कब तक पूरा होगा। कुछ भी बताया नहीं जा रहा है। मरीज परेशान हो रहे है। हमने टीएडी कमिश्नर को भी इस बारे में पत्र लिखा है।
वी के जैन, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी
Published on:
31 Jan 2017 11:16 am
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