
banswara
बांसवाड़ा।बांसवाड़ा में प्रस्तावित बिजलीघरों को स्थापित करने में हो रही देरी का कारण अब तक राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से कोल ब्लॉक्स आवंटन नहीं होना बताया जा रहा था, लेकिन अब उनका यह बहाना नहीं चलेगा। कोयला मंत्रालय ने प्रदेश को तीन खानों व एक कोल ब्लॉक का आवंटन किया है। गौरतलब है कि सरकार ने जिले के बिजलीघरों को गत एक साल से ठण्डे बस्ते में डाल रखा है।
रेल परियोजना के लिए है आवश्यक
बांसवाड़ा में रेल परियोजना को मंजूरी ही कोयला बिजलीघरों की स्थापना को देखते हुए मिली थी। राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ ही वर्तमान सरकार ने जिले में बनने वाले 660-660 मेगावाट की चार यूनिटों के निर्माण पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी। इससे पूर्व राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम और विद्युत उत्पादन निगम ने बिजलीघरों के निर्माण में देरी का कारण कोयला मंत्रालय से कोयला खानों के आवंटन में हो रही देरी को बताया था। बिजलीघरों पर लगी रोक के बाद राज्य सरकार ने रेल परियोजना के प्रति भी रुझान यह कह कर कम कर दिया है कि केन्द्र सरकार रेलवे परियोजना का पूरा खर्च वहन करे। कोयला आवंटन के बाद यदि बिजलीघरों की स्थापना को गति मिलती है तो इसका लाभ निश्चित तौर पर रेलवे परियोजना को होगी।
सात साल से चल रही है कवायद
आरआरवीयूएनएल और आरआरवीपीएनएल की ओर से वर्ष 2009 से बिजलीघरों के लिए कोयला खानों के आवंटन को लेकर कवायद चल रही है। अब जाकर कोयला मंत्रालय ने सूचना के अधिकार के तहत राजस्थान ट्रायबल एरिया विकास समिति अध्यक्ष गोपीराम अग्रवाल को दी जानकारी में बताया कि रतलाम-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा रेलमार्ग के निर्माण कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और प्रसारण निगम को कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 के तहत पारसा, पारसा ईस्ट और कांटा बसन नामक तीन कोयला खानों का आवंटन किया गया है। इसी तरह अतिरिक्त खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) 1957 के प्रावधानों के तहत केंते एक्स्टेंशन नामक कोयला ब्लॉक का आवंटन भी उत्पादन निगम को किया गया है।
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