महात्मा गांधी चिकित्सालय के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बतायाकि त्वचा की अधिकांश समस्याएं गर्मी में होती हैं। पसीने और धूल मिट्टी के कारण त्वाचा में दाद-खाज-खुजली सरीखी समस्याएं होती हैं। वैसे तो बारिश का मौसम त्वचा के लिए अच्छा होता है, लेकिन आद्र्रता को भी नकारा नहीं जा सकता। आद्र्रता में त्वचा की समस्याएं विकराल हो जाती हैं। इसलिए इस मौसम में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
डॉ. सिंह ने बतायाकि तीन से 12 वर्ष आयु तक बच्चों में घमौरियों की तरह छोटे-छोटे दान पड़ जाते हैं। जिन्हें चिकित्सकीय भाषा में इम्पटीगो कहते हैं। ये दाने बच्चों का काफी परेशान करते हैं और धूल मिट्टी में रहने के कारण पनपते हैं। इसके अलावा बच्चों में फोड़े फुंसियां भी होती हैं।
वयस्क और बुजुर्गों को फोड़े-फुंसियां और दाद-खाज-खुजली की समस्या होती है। इस दौरान अधिकांश लेाग इस समस्या से परेशान हैं। त्वचा रोग का संक्रमण का खतरा बच्चों में अधिक रहता है। इसका मुख्य कारण है बच्चों का धूल मिट्टी में खेलना और संक्रमित बच्चों के संपर्क में आना। संक्रमित बच्चे का पसीना सामान्य बच्चे के लगते ही संक्रमण फैल जाता है और स्वस्थ्य बच्चा समस्या से ग्रसित हो जाता है।
त्वचा की समस्या का आलम यह है कि जून के 25 दिनों में 1583 लोग त्वचा की समस्या को लेकर अस्पताल पहुंचे। जबकि अवकाश और चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार के दिन मरीज अस्पताल पहुंचे ही नहंी। इसके अलावा इसमें तीन दिनों के आंकड़े सम्मलित नहीं हैं। यों देखा जाए जाए तो महज 16 से 18 दिनों में डेढ हजार मरीज त्वचा की समस्या से ग्रसित होकर अस्पताल पहुंचे।
शरीर और कपड़े की साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखें
किसी दाद-खाज-खुजली होने पर उसके संपर्क से बचें
पीडि़त के कपड़ों का उपयोग बिल्कुल न करें
शरीर से साबुन को अच्छी तरह से धोएं
गीले या नम कपड़ों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें कपड़े अच्छी तरह सूखने पर ही पहनें
बारिश के गंदे और इक_ा हुए पानी में बच्चों का न खेलने दें
(जैसा कि डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया )