बांसवाड़ा. बांसवाड़ा में युवाओं का एक समूह वागड़ बने वृंदावन के बैनर तले मानव, जीव दया, रक्तदान, नशामुक्ति, महिला जागृति आदि प्रकल्पों के माध्यम से अहर्निश सेवा में जुटा है। मानसिक विमंदितों की सेवा, लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के साथ-साथ गोसेवा में तत्पर इस युवा समूह ने रविवार को कोविड के कारण लगाए लॉकडाउन में भटके एक व्यक्ति का उसके परिवार से मिलन कराया। अपने परिजनों को देख व्यक्ति का चेहरा खिल उठा।
जानकारी के अनुसार कुछ माह पहले एक विमंदित सा रमेश (परिवर्तित नाम) तलवाड़ा कस्बे में घूमता दिखा। इस पर उसे वागड़ बने वृंदावन की टीम को सौंपा था। टीम उसे आश्रम पर रखा। उसके रहने, भोजनादि की व्यवस्था की। साथ ही उससे परिवार की जानकारी ली। स्पष्ट नहीं बता पाने के कारण टीम रमेश की सारसंभाल करती रही। सोशल मीडिया पर उसके बारे में जानकारी साझा की गई। इसके बाद रविवार को रमेश बड़े भाई रघुनाथ व अन्य मध्यप्रदेश के धार बदनावर से बांसवाड़ा आए। एकाएक अपने परिजनों को देखकर उसका चेहरा खिल गया। बाद में परिजन उसे अपने साथ ले गए।
कई विमंदितों का संवारा जीवन
लगभग 13 वर्ष पहले बनी वागड़ बने वृंदावन की टीम सामाजिक समरसता के भाव के साथ संस्कार प्रकल्प को पांच वर्ष से संचालित कर रही है। इसमें जिले के करीब 50 युवा जुड़े हैं। बेसहारा व असहाय घूमते विमंदितों का उपचार कराते हैं। विमंदित मिलने पर उसे स्नान, शेविंग, कटिंग आदि कराकर नए कपड़े पहनाते हैं। टीम के मुखिया अनुराग सिंघवी बताते हैं कि कई परिवार मानसिक बीमार लोगों को अपने साथ नहीं रखते हैं तो वे भटकते हैं। टीम विमंदितों को प्रभुजी नाम देती है। उनका रेस्क्यू कर उपचार आदि के बाद सलूम्बर में प्रभु निवास आश्रम व शहर में राधास्वामी आश्रम में रखती है।
अन्य राज्यों में पुनर्वास
बदनावर के प्रभुजी की तरह टीम ने बीते वर्षों में बांसवाड़ा शहर व जिले सहित अहमदाबाद, सूरत, मंदसौर, धूलिया महाराष्ट्र, उदयपुर और आसपास के क्षेत्रों के कई विमंदितों को सेवादि के बाद परिवार में पुनर्वास कराया है। यहां रहने पर भोजन की निशुल्क व्यवस्था मां की रसोई से होती है।
108 दाह संस्कार
टीम शहर के चिकित्सालय में आने वाले लावारिस शवों का भी अंतिम संस्कार करती है। इसके अतिरिक्त जरूरतमंद परिवार में किसी की मृत्यु पर भी धार्मिक रीति अनुसार अंतिम संस्कार करने में मदद करती है। अंतिम संस्कार में भी लकड़ी की बजाय गोबर के उपलों का उपयोग करते हैं। सिंघवी बताते हैं कि कोविड-19 के दौर में एक दिन में 17 शवों का अंतिम संस्कार भी युवाओं के सहयोग से किया है।
ढाई सौ अधिक लोग करेंगे उपवास
उन्होंने बताया कि कोविड में जान गंवाने वालों सहित अन्य दिवंगतों के मोक्ष की कामनार्थ 11 अगस्त को महाउपवास कार्यक्रम रखा है। इसके लिए ढाई सौ से अधिक लोगों ने पंजीयन कराया है जो उपवास रखेंगे।