लोधा तालाब पर लंबे समय से जलकुंभी और प्रदूषण की मार पड़ रही है। तालाब के पाŸव भाग में किनारे से सटी शहर की विभिन्न कॉलोनियों का गंदा पानी इसमें मिल रहा है। इसके अलावा समीप के कारखाने का भी प्रदूषित रसायनिक पानी इसमें मिलता रहा है। इसे लेकर समय-समय पर ग्रामवासियों की ओर से विरोध किया जाता रहा है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। वहीं तालाब में हर वर्ष बड़ी मात्रा में जलकुंभी पसर जाती है। करीब दो वर्ष पहले मिल की ओर से तालाब से जलकुंभी निकलवाई गई थी, लेकिन अब इसने दोबारा पैर पसार लिए हैं और पूरा तालाब जलकुंभी के कारण किसी हरे-भरे मैदान सा नजर आता है। मछलियों के मरने के संबंध में ग्राम विकास अधिकारी को कॉल किया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
पिछले दिनों बड़ोदिया कस्बे के एक तालाब में भी हजारों मछलियों की मौत हो गई थी। मृत मछलियां तालाब के किनारे पर एकत्रित हो गई थी जिससे आने जाने वाले लोगों को दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा था। जानकारी के अनुसार लोगों ने अज्ञात लोगों के खिलाफ तालाब में जहरीला पदार्थ डालने की बात कही थी।