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मिलर्स की हड़ताल से किसान परेशान, धान खरीद पर संकट के बादल

किसान आज अपनी धान की खरीद न हो पाने से उपज की लागत का भाव भी पाने की स्थिति में नहीं है...

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Farmers facing problem due to millers strike

मिलर्स की हड़ताल से किसान परेशान, धान खरीद पर संकट के बादल

बाराबंकी. केन्द्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयास की बात कर रही है मगर किसान आज अपनी धान की खरीद न हो पाने से उपज की लागत का भाव भी पाने की स्थिति में नहीं है। धान कुटाई के लिए लगी राइस मिलों के मालिक हड़ताल पर हैं और किसान अपना धान लेकर सड़क पर पड़ा हुआ है। हालांकि जिला प्रशासन धान खरीद को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रहा है। मगर मिलर्स का अड़ियल रवैया उनके विश्वास के आड़े आ रहा है। उधर किसान भी अपनी स्थिति को लेकर परेशान दिखाई दे रहे हैं।

बंद पड़े धान क्रय केंद्र

धान की कुटाई एकदम बंद है और सरकारी धान क्रय केंद्र भी पूरी तरह से ठप्प पड़े हैं। किसानों की मजबूरी का लाभ लेने के लिए बिचौलिए भी उनके पास आ रहे हैं और उस दर पर धान मांग रहे हैं जो उनकी लगत से भी कम है। किसानो का आरोप है कि जब वह अपने धान से भरी गाड़ियां लेकर राईस मिल जाते हैं तो उन्हें बता दिया जाता है कि अभी हड़ताल चल रही है और मिल बंद है। किसान इस बात के लिए भी परेशान हैं कि अगर उनके धान की खरीद नहीं हुई तो वह आगे फसल की बुआई कैसे कर पाएगा।

मुख्यमंत्री तक क्यों नहीं पहुंचाते बात

वहीं इस मामले में जब हमने भारतीय किसान यूनियन के प्रांतीय महासचिव मुकेश सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां 1 नवंबर से धान की खरीद की जाती है मगर अबकी बार जो जनपद में 260 मिलें चला करती थी वहां अब केवल 60 मिलें चल रही हैं। जिसमें से भी 20 बंद हो चुकी हैं और 40 ही बची हैं। उन लोगों ने भी हड़ताल कर रखा है कि हम धान नहीं कूटेंगे। मुकेश सिंह ने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह अधिकारी मुख्यमंत्री तक इन मिलर्स की बात क्यों नहीं पहुंचा पा रहे हैं। अगर 67 प्रतिशत की रिकवरी होगी तो इनका नुक्सान होगा तो सरकार को मिलर्स की बात सुननी चाहिए और मिल को चलवाना चाहिए। जब मिल चलेगी तभी किसान का धान कूटा जाएगा और धान क्रय केंद्र भी चल पाएंगे। किसान इस बात से परेशान है कि मिलर्स की हड़ताल के चलते किसान दोराहे पर खड़ा है कि आखिर वह कहां जाए। उसे आगे की बुआई के लिए भी पैसा चाहिए और धान खरीद होगी नहीं तो किसान कहां से पैसा लाएगा।

नहीं हो रही कोई सुनवाई

बाराबंकी मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमूल सिंह ने बताया कि सरकार को कई बार अपनी मांगों का प्रार्थना पत्र दिया जा चुका है मगर उस पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। जिला प्रशासन भी बार-बार मांगों को मानने से बचता रहा है। हमारी जो प्रमुख मांगें है वह प्रति कुंतल 67 प्रतिशत रिकवरी को घटाकर 62 प्रतिशत किया जाए और जो दशकों से 10 रुपए प्रति क्विंटल धान की कुटाई का मिलता है उसे बढ़ाकर 100 रुपए किया जाए और एफसीआई से परिवहन का जो भाड़ा दिया जाता है उसे बाजार रेट पर दिया जाए। यह मांगें जब मान ली जाएंगी तो हम खुद हड़ताल खत्म कर देंगे। अगर सरकार चाहे तो हमारी राइस मीलों को वह खुद संचालित करे और हमें उसका वाजिब किराया अदा कर दे।

जल्द चालू हो जाएंगे क्रय केंद्र

वहीं बाराबंकी के अपर जिलाधिकारी संदीप गुप्ता से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने बताया कि मिलर्स के साथ बैठ कर जिलाधिकारी से उनकी वार्ता कराई जा चुकी हैं। सभी राइस मिलें और सभी क्रय केन्द्र चालू हो जाएंगे।