23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Did you know? बारां जिले में 31 हजार बीघा वनभूमि पर है अतिक्रमण

वन भूमि पर दबंगों की नजर से जिम्मेदार हैं बेखबर, इस वर्ष अब तक 1483 अतिक्रमियों से 1.27 करोड़ का जुर्माना वसूला

2 min read
Google source verification

बारां

image

Mukesh Gaur

Sep 20, 2023

वन भूमि पर दबंगों की नजर से जिम्मेदार हैं बेखबर,  इस वर्ष अब तक 1483 अतिक्रमियों से 1.27 करोड़ का जुर्माना वसूला

वन भूमि पर दबंगों की नजर से जिम्मेदार हैं बेखबर,  इस वर्ष अब तक 1483 अतिक्रमियों से 1.27 करोड़ का जुर्माना वसूला

बारां. जिले में बरसों से वन भूमि पर अतिक्रमण कर खेती करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। गत वर्ष जिले में करीब 31 हजार बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर फसल की बुवाई की गई थी। अतिक्रमियों की संख्या करीब 2500 थी। वन विभाग ने इन सभी अतिक्रमियों के खिलाफ केस बनाए थे और अब तक इनमें से 1483 अतिक्रमियों के प्रकरणों का निस्तारण कर 1 करोड़ 27 लाख रुपए का जुर्माना वन विभाग ने वसूल भी लिया है। यह केवल सरकारी आंकड़े हैं, रिकॉर्ड के बाहर ऐसे कई मामले उजागर होते रहे हैं। इस वर्ष अतिक्रमियों की संख्या गत वर्ष की तुलना में अधिक बताई जा रही है, लेकिन इनके मामले सहायक वन संरक्षक कार्यालयों तक नहीं पहुंच रहे। इसका प्रमुख कारण बारां जिले में बारां व छीपाबड़ौद सहायक वन संरक्षक पिछले काफी समय से रिक्त होना है।
पद रिक्त होने से परेशानी
वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि जिले में वन रक्षकों के 169 पद स्वीकृत हैं, इनमें 120 पद रिक्त हैं। जिले में महज 49 वन रक्षक ही पदस्थ है, जिनके भरोसे जिले का 2 लाख 23 हजार हैक्टेयर में फैला विशाल जंगल है। जंगल ही सुरक्षा के लिए होम गार्ड के महज 50 जवान हैं। जिले में वाहन चालक के 8 पद सृजित हैं, इनमें भी महज एक ही वाहन चालक है।
भरते है जुर्माना
बरसों से वन भूमि पर काबिज लोग वन विभाग के नोटिस जारी करने के बाद खुद जुर्माना भरते हैं। कई बार तो यह लोग एसीफ न्यायालय से सजा सुनाने के बाद जेल जाने से भी गुरेज नहीं करते। इनका मानना होता है बरसों का कब्जा साबित होने के बाद वन भूमि उनके खाते में दर्ज हो जाएगी, हालांकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
दबंगों के आगे बेेेबस
जिले के जंगलों पर खेती वे लोग कर रहे हैं जो या तो दबंग है या फिर उन्हें राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है। इन लोगों का इतना खौफ रहता है कि गांव के अन्य लोग इनके सामने बोलते तक नहीं। वन विभाग के अधिकारी भी इन लोगों के खिलाफ सीधी कार्रवाई से बचते हैं।
& जिले में नाहरगढ़, रामगढ़, जलवाड़ा व केलवाड़ा तथा छबड़ा-छीपाबड़ौद क्षेत्र में वन भूमि पर अतिक्रमण की अधिक शिकायतें मिलती हैं। विभागीय स्तर पर कार्रवाई की जाती है। इस वर्ष तो कई वन क्षेत्रों ट्रेंचें खुदवा कर अतिक्रमियों को बेदखल किया जा चुका है। कर्मचारियों की कमी के चलते भी तुरंत कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है।
दीपक गुप्ता,
उप वन संरक्षक, वन विभाग, बारां


बड़ी खबरें

View All

बारां

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग