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नाहरगढ़ रेंज में 9000 बीघा वनभूमि पर अतिक्रमण

locationबारांPublished: Sep 23, 2023 11:42:17 am

Submitted by:

mukesh gour

इलाके की वनभूमि पर लहलहाती हैं अवैध फसलें, वन विभाग नहीं करता कार्रवाई

 

नाहरगढ़ रेंज में 9000 बीघा वनभूमि पर अतिक्रमण
नाहरगढ़ रेंज में 9000 बीघा वनभूमि पर अतिक्रमण
जलवाड़ा. नाहरगढ़ रेंज जिले में अतिक्रमणों के लिहाज से अति संवेदनशील है। यहां दबंग व प्रभावशाली अतिक्रमियों ने पांच नाकों में करीब 9000 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। वन भूमि पर अतिक्रमण करने का सिलसिला तीन दशक से जारी है।

हमला करने से भी नहीं चूकते
अतिक्रमी इतने दुस्साहसी हैं कि वे हमला करने से भी नहीं चूकते। 15 जुलाई 2023 को भी अतिक्रमियों ने वॉच टॉवर पर हमला कर दिया था। जुलाई 2021 में भी से दो वनपालों पर हमला कर घायल कर चुके हैं। ढाई दशक पहले तक तक रेंज के ढिकोनिया, जलवाड़ा, नाहरगढ, सिमलोद व किशनपुरा में सागवान, छरैल, कोहड़ा, गुर्जन, खैर, महुवा, तेंदू, सीताफल सहित अन्य प्रजातियों के पेड़-पौधों का जंगल हुआ करता था। वन क्षेत्र पर अतिक्रमियों की ऐसी नजर लगी कि कुल्हाड़ी चलाकर अधिकांश वन संपदा को नष्ट कर दिया गया है। अब जंगल की जगह जिधर देखो उधर हजारों बीघा वन भूमि पर अवैध काश्त ही नजर आती है।

कहां, कितना अतिक्रमण
रेंज के जलवाड़ा नाका में 2300 बीघा, किशनपुरा 2400 बीघा, ढिकोनिया 1600 बीघा, सिमलोद 1800 बीघा , नाहरगढ़ में 900 बीघा वन भूमि पर कब्•ाा है। इस तरह से इलाके में कुल 9000 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण है। अतिक्रमियों की वन भूमि पर सोयाबीन, धान, मक्का, उड़द सहित अन्य प्रकार की फसलें लहलहा रही है। रेंज में कई अतिक्रमी ऐसे भी है। जो सैकड़ो बीघा वन भूमि पर ढाई दशक से कब्जा कर रखा है, लेकिन विभाग ने उनके विरुद्ध आज तक एलआर ए 91 के तहत प्रकरण दर्ज तक नहीं किया है।

वनों की सुरक्षा होम गार्ड के जवानों के भरोसे
नाहरगढ रेंज में वनकर्मियों का टोटा होने से नियमित गश्त नहीं हो पाती। इससे भी अतिक्रमण बढ़ रहे हैं। रेंज में करीब 30 पद हैं। इनमें से 14 ही वनकर्मी तैनात हैं। 11 वनरक्षक, 3 कैटल गार्ड हैं। वन विभाग ने 10 होम गार्ड के जवानों की सेवाएं ले रखी है। जलवाड़ा नाका में 3 वनकर्मी, किशनपुरा में 2, सिमलोद में एक, ढिकोनिया में 2 तथा नाहरगढ में 3 वनकर्मी हैं।

जंगल में बस गई बस्ती
वन विभाग की उदासीनता से रेंज के कई नाको में वन भूमि पर बस्तियां बस गई है। नाके में बमोरी, हरिपुरा में बस्ती, अहमदी में बस्ती, किशनपुरा में लाठखेड़ा, बंजारा बस्ती, छत्रगंज के निकट बस्ती, नाहरगढ नाके में गुना मार्ग, ढिकोनिया व सिमलोद नाके में भी कई बस्तियां वन भूमि पर बस गई हैं। दर्जनों प्रधानमंत्री आवास भी बन गए हैं। जहां बस्ती बसी है। वहां पर जंगल नष्ट कर अवैध काश्त की जा रही है। लोग कई बार अतिक्रमण हटाने की मांग कर चुके हैं।

- हमारे पास स्टाफ की कमी है। जैसे ही नए गार्ड आएंगे। व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो जाएगी। अब सभी अतिक्रमियों के केस बनाए जाएंगे।
देवराज सुमन, क्षेत्रीय वन अधिकारी, नाहरगढ़
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