पहले इस तरह मिलती थी दवा
सरकार की ओर से वर्ष 2004 से पहले के राज्य कर्मचारी व पेंशनरों को आरपीएमएफ (राजस्थान पेंशनर मेडिकल फंड) के माध्यम से इंडोर एवं आउटडोर की चिकित्सा सुविधा डायरी के माध्यम से मिल रही थी। सहकारी उपभाक्ता भंडार पर दवा उपलब्ध नहीं होने पर वहां से एनएसी (नॉन अवेलबल सर्टिफिकेट) दी जाती थी। इस एनएसी से अन्य मेडिकल स्टोर से दवा लेते थे तथा बिल भुगतान के लिए सम्बंधीत कोषालय में प्रस्तुत कर राशि का पुनर्भरण कर लेते थे, लेकिन अब एक नवम्बर 2021 के बाद सरकार की ओर से मेडिकल डायरी बंद कर दी गई है।
सरकार की ओर से वर्ष 2004 से पहले के राज्य कर्मचारी व पेंशनरों को आरपीएमएफ (राजस्थान पेंशनर मेडिकल फंड) के माध्यम से इंडोर एवं आउटडोर की चिकित्सा सुविधा डायरी के माध्यम से मिल रही थी। सहकारी उपभाक्ता भंडार पर दवा उपलब्ध नहीं होने पर वहां से एनएसी (नॉन अवेलबल सर्टिफिकेट) दी जाती थी। इस एनएसी से अन्य मेडिकल स्टोर से दवा लेते थे तथा बिल भुगतान के लिए सम्बंधीत कोषालय में प्रस्तुत कर राशि का पुनर्भरण कर लेते थे, लेकिन अब एक नवम्बर 2021 के बाद सरकार की ओर से मेडिकल डायरी बंद कर दी गई है।
अब यह व्यवस्था शुरू
जिला कोषालय के सूत्रों ने बताया कि अब सरकार की ओर से राजस्थान स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) लागू कर दी। इसके तहत प्रत्येक राज्य कर्मचारी को ई-मित्र के माध्यम से निर्धारित पोर्टल पर जनाधार कार्ड के माध्यम से पंजीयन कराना होगा। इसके तहत सरकारी, पंजीकृत निजी चिकित्सालयों व जांच केन्द्रों पर कैशलेस उपचार की सुविधा मिलेगी। आरजीएचएस कार्ड दिखाने पर चिकित्सालयों के उपचार पर्ची काउंटर पर पर आरजीएचएस की मोहर लगाई जाएगी। इसके बाद चिकत्सक से दवा लिखवाना होगा। पेंशनर को आरजीएचएस एप मोबाइल में डाउनलोड करना होगा। इस एप को स्वयं की एसएसओ आईडी से खोला जाएगा तथा उपचार पर्ची अपलोड की जाएगी। इसके बाद पंजीकृत दवा दुकानों की सूची मिलेगी। इस सूची पर पर्ची एड करने पर पर्ची सीधे दवा की दुकान पर पहुंचेगी। दवा विक्रेता दवा उपलब्ध कराएगा। पर्ची से सीधे सहकारी दवा भंडार व अन्य पंजीकृत दवा की दुकान पर पहुंच कर भी दवा ले सकेंगे।
जिला कोषालय के सूत्रों ने बताया कि अब सरकार की ओर से राजस्थान स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) लागू कर दी। इसके तहत प्रत्येक राज्य कर्मचारी को ई-मित्र के माध्यम से निर्धारित पोर्टल पर जनाधार कार्ड के माध्यम से पंजीयन कराना होगा। इसके तहत सरकारी, पंजीकृत निजी चिकित्सालयों व जांच केन्द्रों पर कैशलेस उपचार की सुविधा मिलेगी। आरजीएचएस कार्ड दिखाने पर चिकित्सालयों के उपचार पर्ची काउंटर पर पर आरजीएचएस की मोहर लगाई जाएगी। इसके बाद चिकत्सक से दवा लिखवाना होगा। पेंशनर को आरजीएचएस एप मोबाइल में डाउनलोड करना होगा। इस एप को स्वयं की एसएसओ आईडी से खोला जाएगा तथा उपचार पर्ची अपलोड की जाएगी। इसके बाद पंजीकृत दवा दुकानों की सूची मिलेगी। इस सूची पर पर्ची एड करने पर पर्ची सीधे दवा की दुकान पर पहुंचेगी। दवा विक्रेता दवा उपलब्ध कराएगा। पर्ची से सीधे सहकारी दवा भंडार व अन्य पंजीकृत दवा की दुकान पर पहुंच कर भी दवा ले सकेंगे।
बुढ़ापे में जेब ढीली करने की मजबूरी
आरजीएचएस योजना के तहत आरजीएचएस कार्ड होने पर ही निजी व सरकारी चिकित्सालयों में चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकता है, लेकिन कई पेंशनरों के कार्ड नहीं बन रहे है। पेंशनर कार्ड बनवाने के लिए ई-मित्रों के चक्कर लगा रहे है। हालत यह हो गए राजकीय सेवा में रहते हुए वर्षो तक आरपीएमएफ में राशि कटवाने के बाद भी कई बुजुर्ग पेंशनरों को जेब ढीली करनी पड़ रही है। मजबूरी में उपचार पर्ची पर बाजार से दवा खरीदनी पड़ रही है।
आरजीएचएस योजना के तहत आरजीएचएस कार्ड होने पर ही निजी व सरकारी चिकित्सालयों में चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकता है, लेकिन कई पेंशनरों के कार्ड नहीं बन रहे है। पेंशनर कार्ड बनवाने के लिए ई-मित्रों के चक्कर लगा रहे है। हालत यह हो गए राजकीय सेवा में रहते हुए वर्षो तक आरपीएमएफ में राशि कटवाने के बाद भी कई बुजुर्ग पेंशनरों को जेब ढीली करनी पड़ रही है। मजबूरी में उपचार पर्ची पर बाजार से दवा खरीदनी पड़ रही है।
सरकार की ओर से योजना के तहत एक नवम्बर से आरजीएचएस कार्ड अनिवार्य कर दिए गए, लेकिन अब तक करीब 50 फीसदी के कार्ड नहीं बनने से पेंशनरों को निशुल्क दवा के लिए परेशानी हो रही है। हालांकि सरकार ने 18 नवम्बर को आदेश जारी कर आगामी 15 दिसम्बर तक के लिए राहत दी गई।
दिनेश गुप्ता, जिलाध्यक्ष, पेंशनर समाज, बारां
दिनेश गुप्ता, जिलाध्यक्ष, पेंशनर समाज, बारां
योजना के तहत राज्य कर्मी को आरजीएचएस के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उन्हें उसके कार्ड से दवा मिलेगी। पेंशनर उसकी एसएसओ आईडी से लॉगिन करेगा। इस तरह प्रक्रिया पूरी करने पर घर बैठे दवा उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
धीरज सोनी, जिला कोषाधिकारी
धीरज सोनी, जिला कोषाधिकारी