
यहां कण-कण में होते हैं जैन धर्म के दर्शन
बारां. प्रदेश ही नहीं देश में बारां जिला में जैन धर्म की विशेष मान्यता है। जिले में कई स्थल हैं, यहां जैन प्रतिमाएं मिलने से इसके मतावलम्बियों की बहुलता रही है। वैसे जिले के प्रत्येक बड़े कस्बों व गांवों में आज भी जैन मंदिर हैं तथा जहां नितयकर्म अनुसार विधि-विधान से नित्य कर्म होते हैं।
पौन तीन वर्ष पूर्व भूगर्भ से प्रगट हुई थी
जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष यशभानु जैन बताते हैं कि जिले में समगढ़, विलासगढ़, काकोनी, शेरगढ़ में जैन तीर्थंकर प्रतिमाओं के भग्नावेश हैं, जो प्रामाणिक रूप से सिद्ध करते हैं कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र में जैन का व्यापक प्रभावना रही हैं। रामगढ़ में स्थित पच पहाडिय़ों में से एक पहाड़ पर सात जैन मन्दिरों के भग्नावेश मौजूद हैं। वहां 12 से 20 फीट ऊंची वाण्डित जैन प्रतिमाएं व प्राचीन शिलालेख भी विद्यमान है।
बाबा नगर में भी चौमुखा बाजार स्थित जैन जोड़ला मन्दिर एवं शाहाबाद रोड स्थित नसियां जैन मन्दिर हैं। एक मंदिर में प्रथम जैन तीर्थंकर दूसरे तीर्थकर नेमिनाथ की प्रतिमा मूल नाम है। नसियांजी जैन मन्दिर लगभग 1500 प्राचीन है। यहां पर सोनकर शांतिनाथ एवं जैमिनाथ की विशाल प्रतिमाएं विराजित हैं। जो प्राचीन काल में रामगढ़ से लाई गईं थीं। इस मंदिर में हरी का निर्माण कराके आचार्य कुन्दकुंदाचार्य की प्रतिमा एवं चरण निशान बनाए गए हैं। वर्ष 2020 में नसियां मन्दिर में ही चतुर्बास कर रहे प्रमुख आचार्य ज्ञानसागर महाराज का दीपावली पर महावीर निर्वाण दिवस के दिन देवलोक गमन हो गया था। उस स्थल पर संगमरमर पत्थर की मध्य छतरी का निर्माण कर उनकी प्रतिमा एवं चरणचिन्ह स्थापित किए गए हैं। तीन वर्ष पूर्व मिलीं थी प्रतिमा
अटरू क्षेत्र के शेरगढ़ अभयारण्य का हिस्सा बनी जैन हवेलियों के साथ कॉकोनी की अद्भुत शिल्प के साथ अटरू क्षेत्र में यहां-वहां मिलने वाल जैन धर्म के अवशेष के साथ धार्मिक महत्व के दिग्दर्शन कराने वाली बहुमूल्य प्राचीन प्रतिमाएं हो। इसी क्षेत्र के मोठपुर थाना क्षेत्र की केरवालिया ग्राम पंचायत के नृसिंगपुरा गांव में 6 जून 2019 को तीन पदमासन प्रमिाएं प्रगट हुई। इनमें एक भगवान महावीर स्वामी की है। जबकि दो प्रमिाएं छोटी हैं। बाद में इन प्रतिमाओं को राज्य के खान एवं गोपालन मंत्री के सहयोग से पुरातत्व विभाग विभाग की ओर से जैन समाज बारां को सौंपा गया। जिन्हें 7 जुलाई 2019 से नसियांजी मंदिर में विराजित किया गया। इसके बाद 22 से 28 फरवरी 2020 तक भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया में मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज के सानिध्य में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित कराया गया। 28 फरवरी 2020 को भगवान महावीर, वसुपूज्य भगवान व प्रदम प्रभु भगवान की प्रतिमाओं को नसियांजी में अस्थाई वेदिका पर विराजित किया हुआ है। यह प्रतिमाएं आठ सौ से नौ सौ वर्ष पुरानी बताई जा रही है।
Published on:
13 Apr 2022 07:45 pm
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