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बारां

अवैध खनन ने नदियों को किया छलनी, नष्ट कर दिए तटबंध

जिले की नदियों के आसपास, नदियों के पेटे में दिनदहाड़े अवैध खनन जारी है। ऐसे में इन नदियों का न केवल स्वरूप बिगड़ रहा है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान हो रहा है।

बारांNov 11, 2024 / 11:58 am

mukesh gour

जिले की नदियों के आसपास, नदियों के पेटे में दिनदहाड़े अवैध खनन जारी है। ऐसे में इन नदियों का न केवल स्वरूप बिगड़ रहा है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान हो रहा है।

जिले की नदियों के आसपास, नदियों के पेटे में दिनदहाड़े अवैध खनन जारी है। ऐसे में इन नदियों का न केवल स्वरूप बिगड़ रहा है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान हो रहा है।

माफिया ने बिगाड़ दी सूरत, जगह-जगह दिख रहे खनन के घाव

बारां . जिले की नदियां लगातार हो रहे अवैध खनन से कराह रही हैं। इससे न केवल उनका प्राकृतिक बहाव मार्ग, स्वरूप बिगड़ रहा है। बल्कि इससे पर्यावरण को भी गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। कालीसिंध, पार्वती और परवन नदी के हाल भी बेहाल हैं। पत्थर के लगातार खनन से इनमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। रेत और मिट्टी के लालच में नदियों के तटों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया गया है। इससे तटबंध क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। जिला प्रदेश में खास अहमियत रखता है। पहला तो यह कि यहां पर प्रदेश के सबसे घने वनक्षेत्र हैं। दूसरा यह जिला प्रदेश का इकलौता जिला है, जहां सबसे अधिक नदियां बहती हैं। जिले में कालीङ्क्षसध, पार्वती, परवन जैसी बड़ी नदियों के अलावा कई छोटी-छोटी नदियां हैं। ऐसे में खनन की बात करना अहम हो जाता है। जिले की नदियों के आसपास, नदियों के पेटे में दिनदहाड़े अवैध खनन जारी है। ऐसे में इन नदियों का न केवल स्वरूप बिगड़ रहा है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान हो रहा है। खनन माफिया जिले में हर नदी में आसानी से नजर आ जाते हैं।
अंधेरी नदी : नहीं लग पा रहा खनन पर अंकुश

कवाई. मोठपुर क्षेत्र में इन दिनों अवैध खनन चरम पर है। माफिया ने यहां डूंगरियों एवं पहाड़ों को खोदकर सुरंगें बना दी हैं। यहां दिन रात लोग पहाड़ों को खोदकर बजरी निकालने में लगे हैं। इसका कुछ खनन माफिया स्टॉक भी करके रखते है एवं मोटे मुनाफे में बेच देते हैं। बजरी परिवहन कस्बे के मुख्य चौराहों से भी हर पल होता रहता है। समूचे क्षेत्र में बजरी निकालने वालों ने जान जोखिम में जगह- जगह डालकर चारागाह की भूमियों पर गहरी कराइयों में खड़े होकर बजरी निकालते है।
खटफाड़ नदी : अवैध खनन से गहरे जानलेवा गड्ढे हो गए

जलवाड़ा . वन विभाग की उदासीनता से वन भूमि व नदियों में विगत कई वर्षो से हो रहे अवैध खनन से गहरे जानलेवा गड्ढे हो गए हैं। प्राकृतिक वन सम्पदा को भी गहरा नुकसान पहुंचा है। नाका के खेरंका क्लोजर, गढ़ुली, हांका की चांच सहित पीलिया क्लोजर में अरसे से हो रहे बजरी के अवैध खनन से आठ से दस बीघा वन भूमि नष्ट हो गई है। बजरी खनन से आठ से दस फीट तक गहरे गड्ढे हो गए है। इनमें कभी भी हादसा हो सकता है।
कालीसिंध नदी : दिनभर रहता है ट्रैक्टर ट्रॉलियों का जमावड़ा

पलायथा . क्षेत्र में इन दिनों अवैध खनन से कालीसिंध नदी का स्वरूप ही बदल गया है। सामान्यत: जहां नहाने के लिए पुराने रियासतकालीन पुल पर लोग मौजूद रहते थे। वहां अब अवैध खननकर्ताओं के ट्रैक्टर ट्रालियों की भरमार रहने लगी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 27 के किनारे स्थित इस नदी पर पुल पर यातायात करते वाहन चालक रुककर इसे देखकर अचंभित हो जाते हैं। इस फोरलेन सडक़ पर कारों से गुजरते उच्च अधिकारियों और राजनेताओं द्वारा भी यहां नावों को पानी में उतारकर काली रेत का व्यापार प्रतिबंधित होने के बावजूद भी बदस्तूर जारी है।
पार्वती नदी : बजरी जमा करने के चलते गड्ढे बन गए
किशनगंज .
पार्वती नदी पर भी खनन माफिया का हमला जारी है। माफिया ने खनन कर नदी की सूरत बिगाड़ दी है। यहां पर जगह-जगह खनन से बने गड्ढे किसी घाव की तरह नजर आते हैं। आए दिन यहां पर कई मजदूर रेते व पत्थर निकालते नजर आ जाते हैं। इस दौरान यहां ट्रैक्टर ट्रॉलियों का भी जमावड़ा लगा रहता है। नदी के बीचों बीच जगह-जगह माफियाओं द्वारा बजरी जमा करने के चलते गड्ढे बन गए हैं।
अवैध खनन पर कार्रवाई करते हैं। जहां से भी शिकायत मिलती है, कार्रवाई होती है। जब भी लगता है, ज्यादा शिकायत है तो वहां जाने की कोशिश करते हैं तथा खनन को रुकवाने का प्रयास किया जाता है।
भंवरलाल लबाना, एमई, खनन विभाग, बारां

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