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त्योहार पर मावे की बढ़ी मांग, वसा की मात्रा से होता है गुणवत्ता का निर्धारण

शहर में आने वाला मावा जिले के केलवाड़ा, मारवाड़ और मप्र के रतलाम से आता है। स्थानीय उत्पादन महज ढाई सौ किलो ही है।

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बारां

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Mukesh Gaur

Oct 11, 2025

शहर में आने वाला मावा जिले के केलवाड़ा, मारवाड़ और मप्र के रतलाम से आता है। स्थानीय उत्पादन महज ढाई सौ किलो ही है।

शहर में आने वाला केलवाड़ा का मावा

सरकार के नियमों के अनुसार मावे में चिकनाई की मात्रा 30 प्रतिशत जरूरी

बारां. दिवाली नजदीक है और शहर के घरों से लेकर मिष्ठान भंडारों तक मिठाइयों की तैयारी जोरों पर हैं। इस बढ़ती मांग के बीच खोवा की मिलावट का खतरा भी तेजी से बढ़ गया है। आंकड़ों के अनुसार, बारां में प्रतिदिन लगभग चार से पांच हजार किलो मावा मिठाई बनाने में खप रहा है। शहर में आने वाला मावा जिले के केलवाड़ा, मारवाड़ और मप्र के रतलाम से आता है। स्थानीय उत्पादन महज ढाई सौ किलो ही है। यानी ज्यादातर मावा बाहर से आ रहा है। बाहर से आ रहे इस खोवे की जांच और सैंपङ्क्षलग के इंतजाम नाकाफी हैं। ऐसे में थोड़ी सी चूक बड़ी आबादी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

नियमों में बदलाव जरूरी

मावा विक्रेता कहते हैं कि भारत सरकार ने 1947 को बनाए खाद्य नियमों को आज तक नहीं बदला है। जबकि पशुओं की किस्म, प्रजाति और उनके आहार में अब तक काफी बदलाव हो चुका है। मावा विक्रेता पंकज हरचंदानी ने बताया कि अमूमन इन नियमों के आधार पर अगर मावे में वसा की मात्रा 30 प्रतिशत से कम पाई जाती है तो उसे नकली मावा घोषित कर दिया जाता है। जबकि यह नकली नहीं होता, अंतर केवल वसा या चिकनाई की मात्रा का होता है। उन्होंने कहा कि इस त्योहार पर अब तक तो मांग में उछाल नहीं आया है। आने वाले दिनों में इसकी पूरी संभावना है कि मांग में तेजी आएगी।

5 क्विंटल मावे का नहीं बना कोई मालिक

फूड इंस्पेक्टर मौजीराम ने बताया कि गुरुवार को एक निजी ट्रेवल कम्पनी की बस से करीब 5 क्विंटल मावा जब्त कर सेम्पल लिए गए थे। मावा दिल्ली से कोटा लाया गया था। उक्त मावे में करीब 320 किलो मावा बारां के व्यापारियो का बताया गया था। लेकिन उसका अभी तक कोई मालिक सामने नहीं आया। मावे को कोल्डस्टोरेज में रखवाया गया है। यदि यथा समय तक कोई नहीं आया तो उसे नष्ट करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि दीपावली पर्व की नजदीकता को देखते हुए आमजन को अशुद्ध सामग्री नही बेची जाए, इसकी रोकथाम के लिए निरन्तर सेम्पल लेने की कार्रवाई जारी रहेगी।

मिलावट से हो सकता है सेहत को खतरा

कृत्रिम स्टार्च, चीनी व केमिकल्स पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं
ब्लड शुगर का लेवल बढऩे, हृदय रोगों का खतरा
कृत्रिम रंग और लेवर से एलर्जी व त्वचा संबंधी समस्या
दूषित दूध व खोवा से पॉइजङ्क्षनग।

ऐसे बरतें सावधानी

केवल भरोसेमंद दुकानों या ब्रांडेड पैक खोवा खरीदें, घर पर शुद्ध दूध से बना खोवा सबसे सुरक्षित, पैकेज्ड खोवा पर निर्माण तिथि और सामग्री सूची अवश्य देखें, सेवन के बाद असामान्यता लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

असली और नकली में अंतर ऐसे पहचानें

रंग, असली खोवा हल्का भूरा, नकली सफेद या चमकीला हो सकता है। टेक्सचर, असली खोवा नरम और मलाईदार, नकली सख्त या दानेदार। सुगंध, असली खोवा में दूध की खुशबू होती है। नकली में कृत्रिम स्वाद हो सकता है। पिघलना, असली खोवा धीरे पिघलता है, नकली जल्दी टूट सकता है। असली मावा हथेली पर रगडऩे से चिपकता नहीं।

शहर में तीन चार दिनो में करीब 15 सेम्पल लिए गए हंै। जनवरी 2025 से अब तक करीब 268 सेम्पल लिए गए है। जिनमें 11 मामलो में चालान पेश किया गया है। वही दो सेम्पल की रिटेस्टिंग करवाई जा रही है।

मौजीराम कुंभकार, फूड इंसपेक्टर