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पार्वती नदी के किनारे पहुंचा चीता शावक

शुक्रवार को सुबह 11 बजे इसे किशनगंज-मांगरोल रोड पर पार्वती नदी की पुलिया के पास झाडियों में देखा गया।

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बारां

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Mukesh Gaur

Dec 05, 2025

शुक्रवार को सुबह 11 बजे इसे किशनगंज-मांगरोल रोड पर पार्वती नदी की पुलिया के पास झाडियों में देखा गया।

source patrika photo

अब रामगढ़-मांगरोल मार्ग पर पार्वती की पुलिया के पास दिखा

किशनगंज. रामगढ़ की पहाडिय़ों व घास के मैदानों में पिछले 11 दिनों से चीता शावक की चहलकदमी देखी जा रही है। अब इसने अपने इलाके का विस्तार कर लिया है। शुक्रवार को सुबह 11 बजे इसे किशनगंज-मांगरोल रोड पर पार्वती नदी की पुलिया के पास झाडियों में देखा गया। कूनो की मादा चीता आशा का शावक केपी 2 जिसकी उम्र करीब 2 वर्ष है। ये पिछले 11 दिनों से इस इलाके में मानो अपनी टेरिटरी बनाकर रह रहा है। इस दौरान उसने दो बार शिकार भी किया है। इसका पहला शिकार नीलगाय बनी, इसके बाद इसने एक बछड़े को अपनी खुराक बनाया। इससे पता लगता है कि यहां पर उसके भोजन और रहवास की सारी खूबियां हैं। मप्र चीता शावक 26 नवंबर से इसी इलाके में है। इस पर राजस्थान और मप्र के वन विभाग के अधिकारी लगातार नजर बनाए हुए हैं। कूनो अभयारण्य के रेंजर नीरज ङ्क्षसह परिहार ने बताया कि ममेहमान को रामगढ़ का ग्रासलैंड भा गया है। हालांकि इलाके के लोगों व जिन लोगों के खेत इसके इलाके में हैं, उनमें भय का माहौल है। वन अधिकारियों के अनुसार चीता शावक की मॉनिटङ्क्षरग की जा रही है। अब तक चीता को ट्रैंकुलाइज करने की कोई योजना नहीं है।

रामगढ़ में ही है मेहमान

कूनो से आया शावक मप्र की ओर नहीं गया है। उसने अपना ठिकाना रामगढ़ के ग्रासलैंड में ही बना रखा है। शुक्रवार को मिली जानकारी के अनुसार कुनो से आया अतिथि रामगढ़ क्षेत्र में ही विचरण कर रहा है। उसे रामगढ़ से मांगरोल मार्ग के बीच पार्वती नदी के तट पर एक सरसों के खेत में शिकार के लिए घात लगाते देखा गया। रामगढ़ निवासी गुरुवचन भारती ने बताया कि शुक्रवार को शावक को अर्जुनपुरा, पीपल्दाकला के बीच देखा गया है। कृष्णाई (अन्नपूर्णा) माता मंदिर के पुजारी कालूलाल गुर्जर ने बताया कि क्षेत्र में चिता शावक की दहशत इतनी हो गई है कि हर गाली, हर नुक्कड़, चौराहे पर इसकी ही चर्चा चल रही है। जैसे ही शाम ढल रही है वैसे ही लोग बाहर नहीं निकल रहे। पीपल्दाकलां निवासी राजेन्द्र गुर्जर ने बताया कि इसके चलते लोग अपनी खेती को भी नहीं संभाल पा रहे।