16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बारां

video अब पीला पलाश, करना पड़ रहा तलाश, जिले में सवा दो लाख हैक्टेयर के सघन वन में महज आधा दर्जन पेड़

बारां. जिले के जगंल में यूं तो केसरिया पलाश के पेड़ बहुतायतता में मौजूद हैं, लेकिन पीले पलाश के पेड़ वर्ष 2016 से पूर्व तक जिले भर में केवल 11 पेड़ मौजूद थे। उनमें से भी चार-पांच पेड़ समय के साथ नष्ट हो गए। वर्तमान में महज 6-7 ही पीले पलाश के पेड़ बचे हैं। दुर्लभ किस्म के पीले फूलो के पलाश के पेड़ो को संरक्षण की दरकार हैं।

Google source verification

बारां. जिले के जगंल में यूं तो केसरिया पलाश के पेड़ बहुतायतता में मौजूद हैं, लेकिन पीले पलाश के पेड़ वर्ष 2016 से पूर्व तक जिले भर में केवल 11 पेड़ मौजूद थे। उनमें से भी चार-पांच पेड़ समय के साथ नष्ट हो गए। वर्तमान में महज 6-7 ही पीले पलाश के पेड़ बचे हैं। दुर्लभ किस्म के पीले फूलो के पलाश के पेड़ो को संरक्षण की दरकार हैं। वर्तमान में जिले की करीब 2 लाख 15 हजार हैक्टर वन भूमि पर करीब आठ करोड़ पलाश के पेड़ मौजूद हैं। जब कोई पीला पलाश का पेड़ नजर आता हैं, इसे दुर्लभ माना जाता है। पलाश के पेड़ को छूल, परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू आदि नामों से भी जाना जाता है। जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसे जंगल की आग भी कहा जाता है।
पलाश उत्तर प्रदेश और झारखण्ड का राज्य पुष्प है और इसको भारतीय डाकतार विभाग द्वारा डाक टिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है। प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किए जाते रहे हंै। एक लता पलाश भी होता है। लता पलाश दो प्रकार का होता है। एक तो लाल पुष्पों वाला और दूसरा सफेद पुष्पों वाला। लाल फूलों वाले पलाश का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है। सफेद पुष्पों वाले लता पलाश को औषधीय दृष्टिकोण से अधिक उपयोगी माना जाता है। सफेद फूलों वाले लता पलाश का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया पार्वीफ्लोरा है। जबकि लाल फूलों वाले को ब्यूटिया सुपर्बा कहा जाता है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि पीले पुष्पों वाले पलाश का उपयोग औषधियों के रूप में भी किया जाता है।

पलाश की पत्तियां भी होती है उपयोगी
पलाश के पेड़ की पत्तियों को वैवाहिक कायक्रम मे मंडपाच्छादन के लिए और मेहमानों को भोजन कराने के लिए दोना पत्तल के रूप मेे बहुत किया जाता था। ग्रामीण क्षेत्र में इसके फूलों के गहने बच्चों को बहुत भाते हैं। वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर का मानना है कि पेड़, पौधों में फूलों का रंग आनुवांशिक विविधता की वजह से बदलता है। पौधों में फूलों का रंग वर्णकों की वजह से होता है। यह हर प्रजाति में विविधता को दर्शाता है।

औषधिये गुणों की खान है पीला प्लाश
आयुर्वेद के विशेषज्ञ वैद्य राधेश्याम गर्ग ने बताया कि पलाश से संबंधित एक शोध से जानकारी मिलती है कि इसकी जड़ में कृमिनाशक, आंत के कीड़ों को साफ करने वाला एप्रोडिसि, एनाल्जेसिक दर्द को कम करने वाला जैसे गुण भी होते हैं। इसके अलावा पलाश के बीजों में एंटीडायबिटिक प्रभाव पाया जाता हैं, जो मधुमेह की समस्या को कुछ हद तक नियंत्रित करने में सहायक हो सकता हैं। इसमें रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। जिसकी वजह से इसे डायरिया, लिवर और अन्य समस्याओं के इलाज के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

बड़ी खबरें

View All

बारां

राजस्थान न्यूज़