समय-समय पर मिलती है ट्रैंनिंग
पुलिस को अपराध व अपराध बाद की स्थिति से निपटने के लिए समय-समय पर ट्रैंनिंग व कोर्स करवाएं जाते हैं। इससे पुलिस की कार्यकुशलता में इजाफा हुआ है। इसमें भीड़ पर नियन्त्रण कोर्स, हथियारों का उपयोग व प्रयोग तथा चांदमारी का प्रशिक्षण भी शामिल है।
पुलिस को अपराध व अपराध बाद की स्थिति से निपटने के लिए समय-समय पर ट्रैंनिंग व कोर्स करवाएं जाते हैं। इससे पुलिस की कार्यकुशलता में इजाफा हुआ है। इसमें भीड़ पर नियन्त्रण कोर्स, हथियारों का उपयोग व प्रयोग तथा चांदमारी का प्रशिक्षण भी शामिल है।
आधुनिक जांच की भी मिली सुविधाएं
पहले हत्या, चोरी या अन्य अपराध होने के बाद जांच के नाम पर विशेष सुविधाएं नहीं थी। लेकिन अब जिले को एक फोरेंसिक मोबाइल यूनिट वैन मिल गई है। इसके लिए एक पुलिसकर्मी को प्रशिक्षण के लिए जयपुर भेजा गया है। इससे अपराध के बाद अनुसंधान में काफी सहायता मिलती है। पहले जांच के लिए रेंज में सिर्फ एक ही फोरेंसिक मोबाइल यूनिट की वैन हुआ करती थी। इसके कारण कई जांचों में देरी होती थी। अब जांच भी शीघ्र ही होने लगी है। पहले डॉग स्क्वॉड केवल जयपुर में ही था। अब इसकी सुविधा भी रेंज स्तर पर उपलब्ध होने से कई तरह के अपराध की जांच व अनुसंधान में शीघ्रता आती है। अब पुलिस कई मामलों में डीएनए टेस्ट भी करवाने लगी है, ताकि शीघ्र ही अपराधी तक पहुंचा जा सके।
पहले हत्या, चोरी या अन्य अपराध होने के बाद जांच के नाम पर विशेष सुविधाएं नहीं थी। लेकिन अब जिले को एक फोरेंसिक मोबाइल यूनिट वैन मिल गई है। इसके लिए एक पुलिसकर्मी को प्रशिक्षण के लिए जयपुर भेजा गया है। इससे अपराध के बाद अनुसंधान में काफी सहायता मिलती है। पहले जांच के लिए रेंज में सिर्फ एक ही फोरेंसिक मोबाइल यूनिट की वैन हुआ करती थी। इसके कारण कई जांचों में देरी होती थी। अब जांच भी शीघ्र ही होने लगी है। पहले डॉग स्क्वॉड केवल जयपुर में ही था। अब इसकी सुविधा भी रेंज स्तर पर उपलब्ध होने से कई तरह के अपराध की जांच व अनुसंधान में शीघ्रता आती है। अब पुलिस कई मामलों में डीएनए टेस्ट भी करवाने लगी है, ताकि शीघ्र ही अपराधी तक पहुंचा जा सके।
रबर बुलैट््स का इस्तेमाल बंद
पहले पुलिस दंगे की स्थिति या भीड़ पर नियन्त्रण के लिए गन से रबर की गोली का इस्तेमाल करती थी। इससे कई पर लोग घायल होने की स्थिति भी बन जाती थी। लेकिन अब पम्प एक्शन गन तथा मिर्च ग्रेनेड का इस्तेमाल किया जाता है।
पहले पुलिस दंगे की स्थिति या भीड़ पर नियन्त्रण के लिए गन से रबर की गोली का इस्तेमाल करती थी। इससे कई पर लोग घायल होने की स्थिति भी बन जाती थी। लेकिन अब पम्प एक्शन गन तथा मिर्च ग्रेनेड का इस्तेमाल किया जाता है।
नई गाडिय़ों से बढ़ी पुलिस की स्पीड
पुलिस महकमे में पहले पुराने ढर्रे के वाहन होते थे। इससे घटनास्थल पर तुरंत पहुंचने में विलम्ब होता था। अब नई तकनीक के आधुनिक वाहन पुलिस को मिले हैं। वहीं वज्र जैसे वाहन से भी पुलिस का काफी मदद मिली है। इससे न केवल रिस्पॉन्स टाइम में कमी आई है, बल्कि पुलिस पहले से कहीं ज्यादा चुस्तफुर्त हो गई है।
पुलिस महकमे में पहले पुराने ढर्रे के वाहन होते थे। इससे घटनास्थल पर तुरंत पहुंचने में विलम्ब होता था। अब नई तकनीक के आधुनिक वाहन पुलिस को मिले हैं। वहीं वज्र जैसे वाहन से भी पुलिस का काफी मदद मिली है। इससे न केवल रिस्पॉन्स टाइम में कमी आई है, बल्कि पुलिस पहले से कहीं ज्यादा चुस्तफुर्त हो गई है।
पुलिस समय के अनुसार बढ़ते अपराधों की रोकथाम व अपराध के बाद अनुसंधान करने में नई तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। जिले को एक फोरेंसिक मोबाइल यूनिट वैन मिली है। ताकि साक्ष्यों को एकत्रित करने में देरी न हो सके। वहीं नई तकनीक के हथियारों ने भी पुलिस को सशक्त बनाया है।
कल्याणमल मीना, पुलिस अधीक्षक, बारां
कल्याणमल मीना, पुलिस अधीक्षक, बारां