बारां।
नि:शुल्क राशन, शिक्षा और चिकित्सा के सरकारी दावों से इतर आदिवासी इलाकों में जीवन कितना मुश्किल है, इसका अनुमान केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि जीवनयापन के लिए बच्चों को गिरवी रख दिया जाता है। राजस्थान में बारां, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, कुशलगढ़ व मध्यप्रदेश के धार, झाबुआ, अली राजपुर इलाके में यह रिवायत आज भी कायम है। खेलने-कूदने व पढऩे की उम्र में ये बच्चे बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर हैं। सालभर की मजदूरी के नाम पर 30 से 40 हजार रुपए में रैबारी इन बच्चों को भेड़ और ऊंट चराने का काम देते हैं। देखें पत्रिका की खास वीडियो रिपोर्ट..