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खनिज संपदा के साथ-साथ बड़ी संख्या में जंगली जीव-जंतु
बारां. क्षेत्र के जंगलों में कई तरह की औषधीय पेड़ पौधों के साथ-साथ जीव जंतुओं का भी रैनबसेरा बना हुआ है क्षेत्र के जंगलों में कई लोगों ने शोध भी किया है,लेकिन संरक्षण के अभाव में धीरे-धीरे जंगल की विविधता खत्म होने के कगार पर है। अगर समय रहते इसे सहेज नहीं गया तो आने वाले समय की पीढिय़ों को सिर्फ बातों में ही बताया करेंगे कि पहले जंगल में किस तरह की जीव जंतु रहते थे और वहां कई तरह के औषधीय पौधे मिला करते थे।
संरक्षण का अभाव
क्षेत्र के जंगलों में संरक्षण नहीं होने की वजह से दो पैंथर व भालुओं की सडक़ दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है। सियार, जरख, नेवले, गोह जैसे छोटे-मोटे जीव जंतु आए दिन वाहन चालकों के शिकार हो रहे हैं। कई तरह की औषधीय पौधे जो जीवन में गुणकारी है उनके सेवन मात्रा से ही कई तरह की गंभीर बीमारियों का उपचार संभव है। संरक्षण की अभाव में यह सब धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं।
क्या है फ्लोरा और फौना
किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले सभी पौधों को फ्लोरा या वनस्पति कहा जाता है। किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले सभी जानवरों को फौना या जीव-जंतु या प्राणिजगत कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, फ्लोरा पौधों के समूह को संदर्भित करता है, जबकि फौना जानवरों के समूह को संदर्भित करता है।
माधव नेशनल पार्क व कूनो का बफर जोन
शाहाबाद संरक्षण क्षेत्र एक महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारा और समृद्ध जैव विविधता वाला स्थान है। यह मप्र के शिवपुरी जिले के माधव राष्ट्रीय उद्यान और श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसकी वजह से यह हाल ही में कूनो लाए गए चीतों सहित वन्यजीवों की आवाजाही का एक सुगम रास्ता तैयार करता है।
चीतों के लिए महत्व
यह क्षेत्र चीता संरक्षण के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर का हिस्सा है और हाल ही में प्रोजेक्ट चीता रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया था। इस क्षेत्र को विकास परियोजनाओं से खतरा है, जिसमें एक प्रस्तावित निजी बिजली परियोजना भी शामिल है। इसमें बड़ी संख्या में वनों की कटाई शामिल हो सकती है।
इसलिए खास
इस क्षेत्र को प्रदेश में इसलिए खास माना जाता है कि क्यों यहां दुर्लभ जैव विविधता है. यहां पर काफी संख्या में पैंथर की भी साइङ्क्षटग होती है। इस क्षेत्र विभिन्न प्रजातियों के पेड़ मिलते हैं। यहां सालर, गुरजन, महुआ, बिल्बपत्र, अचार, बिन्यास, पलाश, खैर सहित 802 प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं। शाहाबाद में पैंथर और गिद्धों का कुनबा यहां पर फल फूल रहा है।
जंगलों में औषधीय पौधों की भरमार
क्षेत्र के जंगलों में कई तरह की औषधि पौधों की भर मार है। यह कई तरह की बीमारियों में रामबाण साबित हो रही है । इन औषधीय पर आयुर्वेदिक विभाग कोटा डिवीजन निर्देशक के पद से रिटायर्ड डॉ रमेश भूतिया की टीम क्षेत्र के जंगलों में भ्रमण कर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों पर रीचर्स में लगे हुए हैं। साथ ही क्षेत्र मैं कौन-कौन सी जड़ी बूटियां पाई जाती हैं, इस पर वे कई किताबें भी लिख चुके हैं। जंगल में जड़ी-बूटियों की भरमार है।टेसू के फूल शाहबाद के जंगलों में तीन प्रकार के पलाश के फूल पाए जाते हैं। केसरिया पीला और सफेद, लेकिन धीरे-धीरे पीला और सफेद फूलों के पेड़ की प्रजाति लुप्त होती जा रही है। क्षेत्र के जंगलों में बहुत तादाद में जड़ी बूटियां उपलब्ध हैं, लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। क्षेत्र में इन औषधीय की जानकारी व संरक्षण नहीं होने की वजह से गुणकारी औषधीय विलुप्त होती जा रही है।
10 वर्षों से इलाके में पैंथर का मूवमेंट
शाहाबाद कस्बा सहित आसपास के क्षेत्र में पैंथर का मूवमेंट करीब 10 वर्षों से बना हुआ है। नेशनल हाइवे 27 पर घाटी क्षेत्र में आए दिन वाहन चालकों को पैंथर का मूवमेंट दिख रहा है। लेकिन पैंथरों के संरक्षण के लिए आज तक सरकार द्वारा कोई कार्य योजना तैयार नहीं की गई है। अगर समय रहते सरकार द्वारा पैंथरों के संरक्षण पर कार्य नहीं किया गया तो पैंथर अकाल मौत के शिकार हो जाएंगे। पिछले कुछ दिनों में यहां पर एकांकी पैंथर व जोड़े के साथ भी देखा गया है। एक अनुमान के मुताबिक यहां पर पैंथरों की संख्या 6 से 8 हो सकती है।
क्षेत्र के जंगलों में कई तरह का जीव जंतुओं का विचरण है। साथ ही कई तरह की प्रजातियों के पेड़ पौधे भी इस जंगल में मौजूद है। इसकी कार्य योजना बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा। घाटी क्षेत्र में संकेतक बोर्ड लगाए जाएंगे। वाहन चालक वाहनों को आराम से चलाएं। लोगों से अपील की जा रही है कि पैंथर से दूरी बनाई रखें।
राजेंद्र मेघवाल, क्षेत्रीय वन अधिकारी, शाहाबाद
Updated on:
28 Aug 2025 05:02 pm
Published on:
28 Aug 2025 05:00 pm
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