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गलत तथ्य बताकर लगाई विवि को चपत!

locationबारांPublished: Oct 19, 2021 10:25:52 pm

Submitted by:

mukesh gour

वीएमओयू के एमपीडी विभाग के तत्कालीन निदेशक समेत दो गिरफ्तार

गलत तथ्य बताकर लगाई विवि को चपत!

गलत तथ्य बताकर लगाई विवि को चपत!

बारां. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (वीएमओयू)को आर्थिक चपत लगाने के मामले में विवि के एमपीडी विभाग के तत्कालीन निदेशक समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों को मंगलवार को न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया। गिरफ्तार आरोपी एमपीडी विभाग का तत्कालीन निदेशक करीब पांच साल पहले रिटायर हो गया था। एक अन्य आरोपी विवि के तत्कालीन वित्त नियंत्रक सुरेश चंद की तलाश जारी है। वह भी सेवानिवृत्त हो चुका है।

प्रकरण के अनुसंधान अधिकारी ब्यूरो के बारां चौकी प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपाल सिंह कानावत ने बताया कि परिवादी प्रफुल्ल गोयल, प्रोपराईटर प्रज्ञा पब्लिकेशन्स, प्राईवेट लिमिटेड मथुरा, यूपी की ओर से शिकायत की गई थी कि वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा द्वारा 2016 -17 में पाठ्य पुस्तक सामग्री छपाई के लिए निविदा जारी की गई थी। निविदा शर्तो के मुताबिक फर्म का टर्नओवर 12 करोड़ रुपए तथा छपाई में लिए गए कागज की साइज 23 गुणा 36 /8 इंंच मय 6 0 जीएसएम पेपर के तथा 18 0 जीएसएम पेपर के मय कवर एवं परफैक्ट बाइंडिंग के साथ होना चाहिए। निविदा में मैसर्स सरस्वती प्रेस मथुरा की सबसे कम 0.18 रुपए पर पेज पर प्रिन्टिंग की लागत पाए जाने पर उसे कार्यादेश जारी किया गया। इससे पहले फर्म का भौतिक सत्यापन किया गया, लेकिन वार्षिक टर्नओवर की जांच नहीं की।

टर्नओवर 5 करोड़, बताया 12 से अधिक
फर्म का वार्षिक टर्न ओवर 5 करोड़ है, जबकि उसने निविदा में वार्षिक टर्नओवर 12 करोड़ से अधिक दर्शाया है। फर्म द्वारा निविदा में जो पेपर सेम्पल के तौर पर पेश किए थे। उस पर छपाई कार्य नहीं कर उससे निम्न स्तर के पेपर पर पाठ्यपुस्तक सामग्री छपाई कर सप्लाई की जा रही है। जिसे विवि के अधिकारियों ने स्वीकार कर टैण्डर की दर अनुसार भुगतान कर विवि को करोड़ो का अर्थिक नुकसान पहुंचाया।ब्यूरो मुख्यालय पर परिवाद दर्ज किया गया तथा शिकायत में वर्णित तथ्य प्रमाणित पाए जाने पर मुकदमा दर्ज किया गया।

पुराने कागजों में कांटछांट कर की कारस्तानी
प्रकरण के अनुसंधान, जप्त रिकार्ड से पाया गया कि आरोपी अमित अग्रवाल सरस्वती प्रेस मथुरा ने विवि की ओर से जारी की गई निविदा में अपनी फर्म के वित्तीय वर्ष 2014-15 के वार्षिक टर्नओवर में कांटछांट कर 12 करोड से अधिक कर निविदा में भाग लिया तथा वर्धमान महावीर खुला विवि, कोटा के एमपीडी विभाग के निदेशक करण सिंह व वित्त नियंत्रक सुरेश चंद से मिलीभगत कर मुद्रण के लिए अपनी फर्म के नाम आदेश जारी करा लिया। इस पर प्रकरण में आरोपी वित्त नियंत्रक सुरश चंद, निदेशक एमपीडी विभाग करण सिंह व प्रोपाइटर सरस्वती प्रिन्टिंग प्रेस मथुरा अमित अग्रवाल के खिलाफ आरोप प्रमाणित पाए जाने पर आरोपी करण सिंह को 18 अक्टूबर को तथा अमित अग्रवाल को 19 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया। दोनों को मंगलवार को न्यायालय में पेश किया। जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया।
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