
बदायूं। जिले में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ जिला प्रशासन का सख्त अभियान दूसरे दिन भी पूरे जोर-शोर से जारी रहा। शासन के स्पष्ट निर्देशों के अनुपालन में प्रशासन ने बड़े और छोटे सरकार दरगाह परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया। सिटी मजिस्ट्रेट सुरेश पाल और सीओ सिटी रजनीश कुमार उपाध्याय ने भारी पुलिस बल के साथ दरगाह परिसर में डेरा डाले हुए लोगों की सघन जांच-पड़ताल की और एक-एक व्यक्ति का सत्यापन कराया।
अधिकारियों ने दरगाह में ठहरे लोगों के पहचान पत्र खंगाले और दो टूक चेतावनी दी कि बिना वैध आईडी प्रूफ के जिले में किसी भी व्यक्ति को रहने की इजाजत नहीं दी जाएगी। प्रशासन ने साफ कर दिया कि यदि कोई भी व्यक्ति बिना पहचान पत्र के पाया गया तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार शासन ने जिले में रह रहे रोहिंग्या, बांग्लादेशी नागरिकों और बाहरी राज्यों से आए संदिग्ध लोगों को चिह्नित कर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में बड़े और छोटे सरकार की कमेटी की मौजूदगी में दरगाह परिसर में लगातार दूसरे दिन सघन सत्यापन अभियान चलाया गया। जांच के दौरान सामने आया कि कई लोग इलाज और रूहानी उपचार के नाम पर लंबे समय से दरगाह परिसर में डेरा डाले हुए हैं।
बिना किसी वैध पहचान पत्र के अवैध रूप से रह रहे लोगों को कड़ी फटकार लगाते हुए मौके से वापस भेज दिया गया। प्रशासन ने निर्देश दिए कि दरगाह में ठहरने वाले और दुकान लगाने वाले सभी लोगों को अपनी तीन पीढ़ियों का पूरा ब्यौरा पुलिस को उपलब्ध कराना होगा। ऐसा न करने वालों को दरगाह परिसर से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। प्रशासन ने साफ कर दिया कि संदिग्धों की तलाशी और सत्यापन का अभियान आगे भी लगातार जारी रहेगा। इस दौरान सदर कोतवाल संजय सिंह, सिविल लाइन कोतवाल हरेंद्र सिंह समेत बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद रहे।
चेकिंग अभियान को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। पूर्व मंत्री आबिद रजा ने डीएम और एसएसपी को पत्र भेजकर प्रशासनिक कार्रवाई पर आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि बड़े सरकार (हजरत सुल्तान आरफीन) और छोटे सरकार (हजरत शाह विलायत) देश की प्रसिद्ध और आस्था की प्रतीक दरगाहें हैं, जहां न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश से हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई श्रद्धालु अकीदत के साथ आते हैं।
पूर्व मंत्री ने पत्र में उल्लेख किया कि दोनों दरगाहों पर रूहानी इलाज और मन्नत के लिए लोग 40 दिन का चिल्ला करते हैं और कई लोगों का इलाज वर्षों तक चलता है। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि अपराधी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या जैसे संदिग्ध तत्वों पर सख्ती करे, लेकिन रूहानी इलाज और मन्नत के उद्देश्य से आए गरीब और भारतीय जायरीनों को बेवजह परेशान न किया जाए। उन्होंने कहा कि अपराधियों और अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई से किसी को एतराज नहीं है, बल्कि जिले के लोग इसमें प्रशासन का सहयोग भी करना चाहते हैं। लेकिन आस्था के केंद्रों पर रह रहे निर्दोष और जरूरतमंद लोगों के साथ संवेदनशीलता बरती जानी चाहिए। पूर्व मंत्री ने प्रशासन से मांग की है कि संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं, ताकि कार्रवाई की आड़ में निर्दोष जायरीनों को परेशान न किया जाए।
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Published on:
14 Dec 2025 08:33 pm
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